मंगलवार, 29 जुलाई 2014

मस्तिष्क के लिए हानि पहुचाने वाली आदतें

मस्तिष्क के लिए हानि पहुचाने वाली आदतें|
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1. प्रतिदिन नाश्ता न करना |
जो लोग नियमित रूप से नाश्ता नहीं लेते उन्हें मस्तिष्क में शर्करा के स्तर कम होने का खतरा बना रहता हे।
यह खतरा पोषक तत्वों की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण मस्तिष्क क्षति ग्रस्त (brain degeneration.) होने के कारण हो सकता हे।
2. अधिक खाना (Overeating)
अधिक खाना खाने से मस्तिष्क की धमनियों(arteries) कोलेस्ट्रोल जम जाने से सख्त हो जाती हें, इससे कोशिकाओ(सेल्स)को पोषण में कमी हो जाती हे।यह मानसिक शक्ति(स्मरण एवं कार्य क्षमता) में कमी होने से होता हे।.
3. धूम्रपान (Smoking )
यह मस्तिष्क संकोचन(multiple brain shrinkage) का कारण बनता है जो अल्जाइमर(Alzheimer) रोग(भूल जाने का रोग) को जन्म दे सकता है।
4. बहुत मीठा खाते रहने से
( High Sugar consumption )
अधिक चीनी या मीठे पदार्थो का सेवन से प्रोटीन और पोषक तत्वों के अवशोषण (absorption) में बाधा होने से कुपोषण और मस्तिष्क के विकास में कमी का कारण से भी मस्तिष्क को हानी पहुचती हे।
5.वायु प्रदूषण Air Pollution
हमारा मस्तिष्क को हमारे शरीर में ऑक्सीजन की सबसे अधिक जरुरत होते हे, प्रदूषित हवा में श्वास (inhaling) लेने से मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, इससे मस्तिष्क की कार्य क्षमता या दक्षता में कमी होने लगती हे।
6. नींद की कमी Sleep Deprivation
सोने(Sleeping) के समय हमारे मस्तिष्क को आराम मिलता हे। अधिक देर तक जागने या न सो पाने से मस्तिष्क कोशिकाओं की क्षति या मौत होती हे।
7. सिर को ढक कर सोने से
सर को ढक कर या पूरी तरह मुह सहित ओड़कर सोने से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा चदर के अन्दर अधिक हो जाती हे, इससे ऑक्सीजनकी कमी होने से मस्तिष्क को हानि होने की सम्भावना अधिक हो जाती हे ।
8. बीमारी के दौरान अपने मस्तिष्क कार्य करते रहना
बिमारियों से कमजोर या कठोर शारीरिक कार्यो के दोरान अध्ययन अद्यापन आदि मस्तिष्क के काम भी करते रहने से कार्यक्षमता में गिरावट के साथ मस्तिष्क को क्षति हो जाती हे।
9. उत्तेजक विचारों से।
अच्छा सोचना(पोसिटिव थिंकिंग) (मानसिक जप आदि) हमारे मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने का सबसे अच्छा तरीका है, मस्तिष्क की उत्तेजना विचारों (thoughts) में कमी कर देता हे। इस कारण मस्तिष्क का संकोचन होने से उसे हानी पहुचती हे।
10. कम बात-चीत
Talking Rarely
बौद्धिक बातचीत(Intellectual conversations) मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाने का सबसे अच्छा रास्ता हे।
 

सोमवार, 28 जुलाई 2014

एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्दति

शरीर के विभिन्न हिस्सों खासकर हथेलियों और पैरों के तलवों के महत्वपूरण बिन्दुओं पर दबाव डालकर विभिन्न रोगों का इलाज करने की विधि को एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्दति कहा जाता है | चिकित्सा शास्त्र की इस पद्दति का मानना है कि शरीर में हजारों नसों ,रक्त धमनियों ,मांसपेसियों ,स्नायू और हड्डियों के साथ कई अन्य चीजे मिलकर इस शरीर रूपी मशीन को चलाते है | अत : किसी बिंदु पर दबाव डालने से उससे सम्बंधित जुड़ा भाग प्रभावित होता है इस पद्दति के लगातार अध्ययनों के बाद मानव शरीर के दो हजार ऐसे बिंदु पहचाने गए है जिन्हें एक्यू पॉइंट कहा जाता है जिस एक्यू पॉइंट पर दबाव डालने से उसमे दर्द हो उसे बार बार दबाने से उस जगह से सम्बंधित बीमारी ठीक हो जाती है | इस पद्दति में हथेलियों ,पैरों के तलवों ,अँगुलियों और कभी कभी कोहनी अथवा घुटनों पर हल्के और मध्यम दबाव डालकर शरीर में स्थित उन उर्जा केन्द्रों को फिर से सक्रीय किया जाता है जो किसी कारण अवरुद्ध हो गई हों |
बिना दवा के इलाज करने वाली यह पद्दति सरल ,हानिरहित, खर्च रहित व अत्यंत प्रभावशाली व उपयोगी है जिसे कोई भी थोड़ी सी जानकारी हासिल कर कभी भी कहीं भी कर सकता है | बस शरीर से सम्बंधित अंगों के बिंदु केन्द्रों की हमें जानकारी होनी चाहिए | निचे दिए दो चित्रों में आप शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों से सम्बंधित बिन्दुओं (एक्यू पॉइंट ) के बारे जान सकते है | चित्र को बड़ी साइज में देखने के लिए चित्र पर क्लिक करें |



इस पद्धति का विकास चीन में होने के कारण इसे चीनी पद्धति के रूप में जाना जाता है। लेकिन इसकी उत्पत्ति को लेकर काफी विवाद भी हैं। एक ओर जहां चीन का इतिहास यह बताता है कि यह पद्धति 2000 वर्ष पहले चीन में विकसित होकर सारी दुनिया के सामने आई। वहीं, भारतीय मतों के अनुसार आयुर्वेद में 3000 ई.पू. ही एक्यूप्रेशर में वर्णित मर्मस्थलों का जिक्र किया जा चुका है। वर्तमान में भारत और चीन के साथ ही हांगकांग, अमरीका आदि देशों में भी कई रोगों के उपचार में एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति काम में लाई जाती है।

बुधवार, 23 जुलाई 2014

एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का परिचय

 एक्यूप्रेशर 
 
एक्यूप्रेशर  यह विभिन्न रोगों के इलाज का सबसे प्राचीन और सरल चीनी प्रणाली है मुख्य रूप से की वजह से (नकारात्मक) यिन और यांग के शरीर में (सकारात्मक) बलों असंतुलन के कारण होता ह  उपचार एसीयू अंक के माध्यम से जो यिन यांग बलों संतुलित कर रहे हैं पर उंगली दबाव लागू करने के द्वारा किया जाता है. एक्यूप्रेशर एक प्राचीन स्वयं स्वास्थ्य तकनीक है कि व्यापक रूप से हजारों साल के लिए उन्मुख भर में इस्तेमाल किया है और जो दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया है पिछले कई वर्षों के लिए दुनिया है एक्यूप्रेशर की जड़ आत्मा में है  'मनुष्य की आत्मा स्वर्ग से संपन्न है शारीरिक ऊर्जा पृथ्वी से संपन्न है  
 
  मतलब जिससे आदमी बनाया है जिससे बीमारी का मतलब होता है जिससे आदमी का मतलब है ठीक है मतलब है जिससे बीमारी पैदा होती है शरीर पलटा केंद्रों सभी सिद्धांत और उपचार के आधार हैं पांच तत्व लकड़ी अग्नि पृथ्वी धातु, पानी प्रकृति के सभी घटनाएं घेरना यह एक प्रतीक है कि खुद को लागू होता है आदमी को समान रूप से ह

वहाँ 7200 में एक पैर तंत्रिका अंत कर रहे ह शायद इस तथ्य बताते हैं इसलिए हम इतना बेहतर है जब हमारे पैर व्यवहार कर रहे हैं लग रहा ह पैर में तंत्रिका अंत स्पाइनल कॉर्ड और मस्तिष्क शरीर के सभी क्षेत्रों के साथ है और इसलिए साथ व्यापक
interconnectionsहै निश्चित रूप से चरणों में तनाव जारी है और स्वास्थ्य को बढ़ाने के अवसर का एक सोने की खान हैं हर कोई है जो करने के लिए शरीर की सजगता संवेदनशीलता को समझना चाहता है सीखना चाहिए

इस प्रशिक्षण के साथ एक व्यक्ति को आसानी से आगे बढ़ने कर सकते हैं और पलटा काम के अन्य रूपों के लिए सीख लो संवेदनशीलता की प्रणाली सुरक्षित है, और बहुत सारे मामलों में जहां अन्य चिकित्सा करने के लिए परिणाम लाने में नाकाम रहे हैं में कारगर है इस कोर्स करने से आप एक स्वस्थ जीवन के लिए अपनी खोज में वृद्धि होगी हम इस प्राचीन विज्ञान और कला का रहस्य दूर स्पष्ट और आसान शब्दों में अपने मूल सिद्धांत है और अभ्यास समझा जाएगा

एक्यूप्रेशर प्रकृति के स्वास्थ्य हमारे शरीर में निर्मित विज्ञान है एक्यूप्रेशर चिकित्सा में आप कुछ हथेलियों और तलवों पर स्थित बिंदुओं पर दबाव लागू है अंक पर दिया दबाव के लिए बीमारी को रोकने के लिए अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के शरीर के सभी अंगों को उत्तेजित करता है इस थेरेपी भी हमें सक्षम बनाता है पता लगाने के लिए और स्थायी रूप से रोग का इलाज

                             
एक्यूप्रेशर एक ऐसा प्राकृतिक तरीका जिसके द्वारा सभी तरह की बीमारियों का इलाज बिना दवाई के होता हैं आगे आपको एक्यूप्रेशर की विशेषताऐ बताएगे   


मेरा फोटो

रविवार, 20 जुलाई 2014

Acupressure (Reflexology) Charts Collection


Brainwave Chart

Acupressure Points

Acupressure is an ancient art of healing that originated from Asia some 5,000 years ago.  It uses the same principles as Acupuncture, but minus the needles.  Ancient therapies were primary based on preventative health care.  Acupressure is a way of self-treatment or Do-It-Yourself (DIY) therapy.  Acupressure Fitness (AcuFit) Mats have transformed the art of Acupressure therapy from being a therapist given massage to a DIY at your own convenience.
This page shows how Acupressure utilizes Acupressure Points on the body, and what points correspond to what organs/diseases. We focus on the Acupressure points on the foot because Acufit Foot Mats leverage the acupressure points (also known as acupoints, trigger points, reflecting zones, reflexology points, pressure points) on the foot. It also guides you through how Acupressure is a great way to Relieve Tension and Live Stress Free.

Acupressure Points

Acupressure is based on the principles that all organs of the body are connected to certain points on the hands and feet.  Most Acupressure institutes teach how to apply the right amount of pressure on specific points on the hands and feet.  It is believed that applying pressure on these points for a certain amount of time helps stimulate the energy flow to different parts of the body.  Acupressure stems from times when medicine was mostly preventative. Acupressure has a close cousin, Acupuncture, that originates from the same basic principles but uses needles instead of fingers and thumb to apply pressure.  Acufit Foot Mats have brought Acupressure to the next level by providing a mat that you can step on to apply pressure on the acupressure points on your feet. Since the foot is not flat, the Acupressure Fitness (AcuFit) Foot Mats have a pyramid in the center to ensure the right amount of pressure in the middle of the foot.

Acupressure as a way of Relieve Tension and Live Stress Free
Acupressure is believed to be a great way to relive stress, tension and anxiety.  In today’s fast paced life, stress and tension can really take a toll on your body. Acupressure can help overcome stress and anxiety by using certain acupressure points on the wrist and the foot.  Rather than having to remember and master these points, Acufit Foot Mats will put the right amount of pressure throughout your feet as you move your legs up and down on the mat (in a walking motion).  There are UPS and DOWNS in everyone’s life.  We want you to LIVE STRESS FREE!

 Below you will find commonly used acupressure points located on the legs and feet.  Acupressure points on the legs and feet are used for a very wide range of conditions including digestive problems, stress and anxiety, insomnia, hot flashes, headaches, PMS, and more.

Hand Acupressure Points

Foot Acupressure Points

Hand Acupressure Points

Hand Pressure points
 
Sujok Acupressure Points

 Foot Acupressure Points (below)


Rainbow Coded Hand Reflexology Chart (above)

Acupressure Foot Image

Back and Neck Pain Acupressure Points

Hand Acupressure Points

12 Ways to Stay Healthy

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मंगलवार, 15 जुलाई 2014

एक्यूप्रेशर चिकित्सा में बरतें ये सावधानियां

एक्यूप्रेशर चिकित्सा में बरतें ये सावधानियां इस पद्धति में इलाज से पहले यह जान ले कि रोग किस अंग से संबंधित है। उसका प्रतिबिंब केंद्र जानने के बाद उपचार करें। प्रतिबिंब केंद्रों के परीक्षण से किस अंग में विकार है पता चल जाता है। यदि किसी केंद्र पर प्रेशर देने से रोगी को बहुत दर्द हो तो समझो, उस केंद्र से संबंधित अंग में कोई विकार है। प्रेशर देने का ढंग सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। हाथ के अंगूठे हाथ की तीसरी अंगुली, एक अंगुली पर दूसरी अंगुली रखकर हाथ की मध्य की तीन अंगुलियों के कार्य तथा हथेली के साथ कर सकते है। अंगूठा या अंगुली बिल्कुल सीधी खड़ी करके प्रेशर नहीं देना चाहिये। प्रेशर देने के लिये अंगूठा या अंगुली एक ही स्थान पर टिका कर घड़ी की सुई की तरह गोल बाईं से दाईं तरफ दिया जाये। इससे शीघ्र लाभ मिलता है। तरल पदार्थ या पाउडर लगा कर भी प्रेशर दे सकते हैं। यदि हाथों या पैरों की चमड़ी सख्त हो तो उपकरणों से भी प्रेशर दे सकते हैं। लकडी, रबड़ या प्लास्टिक की धारी वाले रोलर से पैरों में स्थित अनेक
प्रतिबिंब केंद्रों पर दबाव दिया जा सकता है। अंगूठा या अंगुली बिल्कुल सीधी खड़ी करके प्रेशर नहीं देना चाहिये। प्रेशर देने के लिये अंगूठा या अंगुली एक ही स्थान पर टिका कर घड़ी की सुई की तरह गोल बाईं से दाईं तरफ दिया जाये इससे शीघ्र लाभ मिलता है। तरल पदार्थ या पाउडर लगा कर भी प्रेशर दे सकते हैं। यदि हाथों या पैरों की चमड़ी सख्त हो तो उपकरणों से भी प्रेशर दे सकते हैं। लकडी, रबड़ या प्लास्टिक की धारी वाले रोलर से पैरों में स्थित अनेक प्रतिबिंब केंद्रों पर दबाव दिया जा सकता है। घुटनों तथा टखनों के साथ वाला उंगलियों के नीचे वाला तथा हाथों-पैरों का ऊपरी भाग दूसरे भागों से कुछ अधिक नरम होता है। इन भागों पर दबाव कम तथा धीरे-धीरे देना चाहिये। प्रेशर देने की अवधि रोग के अनुसार हर चिकित्सक का विचार भिन्न-भिन्न है। कोई 2 से 5 मिनट तक तथा कोई कुछ सैंकेंड तक ही प्रेशर देने का सुझाव देते हैं। चिरकालिक रोगों में पहले सप्ताह प्रतिदिन, उस के बाद सप्ताह में दो या तीन बार प्रेशर देना चाहिये। कुछ रोगांे जैसे गठिया, घुटनों के दर्द में आलू के गर्म पानी या अमर बेल को पानी में गर्म करके सेक करने से बहुत आराम मिलता है और लगातार करने से दर्द भी ठीक हो जाता है। इससे सूजन भी नहीं रहती। प्रेशर देने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी है।  हाथों के नाखून बढ़े हुये न हो।  शरीर में लचक तथा ढीलापन लाने के लिये प्रेशर देने से पहले थोड़ी देर के लिये गहरे और लंबे सांस लेने चाहिये। शरीर पर थोड़ा तरल पदार्थ या पाउडर लगाना चाहिये। इससे गहरा प्रेशर दिया जा सकता है। रोग निवारण के लिए रोगी को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये।  कुछ ऐसे रोग भी हैं जैसे रीढ की हड्डी, साइटिका वात, नाड़ी का दर्द, जिनमें डाॅक्टर कुछ दिन आराम करने के लिये कहते हैं। ऐसे रोगों के लिये आराम जरूरी है। स्वस्थ व्यक्तियों को भी हाथों तथा पैरों में सारे प्रतिबिंब पर प्रेशर देना चाहये इससे स्वास्थ्य को वर्षों तक कायम रखा जा सकता है। चिरकालिक रोगों के लिये एक्यूप्रेशर के अतिरिक्त प्रतिदिन त्रिधातु पेय लेने से भी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ आवलें का पेय भी ले सकते हैं। दोनों में कोई एक पेय लेना ही लाभकारी है।