कैसे कार्य करता है डिटॉक्सीफिकेशन ?
ख़ुशी की खबर
महत्व तथा फ़ायदा
जटिल तथा अंतिम अवस्था के रोगी भी जो सभी तरह के उपचार कर के निराश हो चुके है, वो मरीज भी इस मशीन का प्रयोग कर के लाभ पा सकते है, ऐसे मरीज पूर्ण रूप से ठीक न हो कर भी ज्यादा ही लाभ मिलता है क्यों की रोग बनाने वाले तत्व निकालने के पश्चात और औषधि उपचार अधिक प्रभावकारी होती है, इस तरह इस प्राविधि के द्वारा जटिल तथा अंतिम अवस्था के रोगी भी लाभ पा सकते है |
सामान्य तथा शुरू के अवस्था के रोगी भी अपने शरीर में रोग लगने वाले तत्व का पता लगा कर जल्दी ही आराम पा सकते है, शरीर की गंदगी निकलने के पश्चात अन्य दवा के उपचार से जल्दी ही आराम होता है | अधिक लोगो में तो सिर्फ शरीर की गंदगी निकलने से ही आराम देखा गया है. दवा के माध्यम से पहले किये हुवे उपचार होने के बाद भी इस तकनीक का प्रयोग करने से पुनः उस बीमारी से बच सकते है, इस तकनीक में अन्य दवा के उपचार के साइड एफेक्ट से बच सकते है, और रोग भी जटिल नहीं होता, रोग सामान्य अवस्था में इस मशीन का प्रयोग करना ख़ुशी की बात है |
निरोगी ब्यक्ति के लिए ये मशीन किसी बीमारी के शुरू होने से पहले ये मशीन का प्रयोग करना सबसे अच्छा है अभी तक कोई ऐसी दवा या उपचार जिसके खाने या प्रयोग करने से बीमारी न हो, लेकिन ये चमत्कारी मशीन आप की सहायता करती है, जो आप के शरीर में रोग बनाने वाले तत्वों को आप के ही आख के सामने निकालता है, और भविष्य में होने वाले खतरनाक रोगों को बचाता है | शरीर के हर एक अंग में वर्षो से जमा हुवे टोक्सिन को निकाल कर अंगो को साफ करता है और उनको मजबूत बनाता है | खाने के माध्यम से, बाहरी वातावरण के प्रदुषण से जमा हुवे टोक्सिन को आराम के साथ आप के पैरो के तलवो से ये मशीन निकलता है उसके बाद आप के सारे अंग साफ तथा स्वच्छ होते है जिससे आप स्वयं का खुश और निरोगी महसूस करते है, इस लिए ये मशीन निरोगी ब्यक्ति को इस्तेमाल करना सबसे बुद्धिमानी का काम है
रोग लगने वाले विषाक्त तत्व (Ion Cleanse) को निकलने की विधि
मशीन से संबधित बहुउपयोगी प्रश्न के उत्तर
इतनी आसानी से, इतनी सस्ती, इतनी गुणकारी और अनगिनत फायदा करने वाली अगर ये मशीन है तो इतनी प्रभावकारी मशीन का पता क्यों नहीं चला, और इसका प्रचार प्रसार क्यों नहीं किया गया ?
इस मशीन के प्रसिद्धि के बारे में ब्यापक प्रचार न होने के कारण
ये मशीन इतनी जल्दी और इतने अधिक विषाक्त तत्वों को हमारे शरीर से निकालता है, ये देख कर लोगो को विश्वास करना मुश्किल होता है, क्यों की मनुष्य का दिमाक देख कर, सोच कर, या आशा करने से ऐसी बात को विश्वास करना बहुत ही मुश्किल होता है |
ये मशीन का प्रयोग कर कर के ज्यादा विषाक्त तत्व निकलना शरीर के लिए लाभदायक नहीं होता ये भी डर भी बहुतो को होता है, पर ये शंका या डर सही नहीं है, जिसका प्रमाण आप खुद ही देख सकते है |
शरीर के अन्दर हानिकारक तत्व भी होते है, जिसके कारण बीमारियों का जन्म होता है, ये भी लोगो को पता नहीं है, जिसे एक मशीन के द्वारा अपने आख के सामने ही निकाल सकते है, इस लिए भी ये मशीन प्रचलित नहीं हुई |
स्वयं ये मशीन उपयोग कर के उसकी प्रमाणिकता देखना, पर सिर्फ देख के या अनुभव कर के इस तकनीक के बारे में तर्क तथा बहस के माध्यम से जानकारी लेने के कारण से भी ये प्रविधि विकसित नहीं हो पाई |
प्रयोग कराने वाले ब्यक्ति प्रयोग करने की अवस्था के अनुसार अधिक रिसर्च, ब्याख्या तथा प्रयोग न करा पाने के कारण भी ये प्रविधि उचाई को नहीं छु पाई |
सम्बंधित विभाग के द्वारा जनचेतना तथा प्रयोग के लिए प्रोत्साहन न देने के कारण भी ये प्राविधि पीछे है |
इस प्राविधि के द्वारा दस गुणा ज्यादा स्वास्थ के ब्यापार तथा लाभ कमाने के कारण से ये प्राविधि ब्यापक रूप से प्रचलित नहीं हुई |
क्या इस संसार में अब कोई उपचार या दवा नहीं चाहिए ?
इस संसार में कोई भी चीज अपने में पूर्ण नहीं है, ये पद्दति अन्य औषधि उपचार में लगने वाला खर्च, दुःख, झंझट तो अवश्य ही घटाता है, पर किसी भी रोगी को कोई अन्य कोई औषधि उपचार न कराना पड़े ! ये निश्चित नहीं है, अन्य उपचार पद्दति के साथ ये तकनीक भी रोगी को जल्दी आराम दिलाती है इस पद्दति का प्रयोग कर के मरीज अधिक आकर्षित होते है, इस लिए ये तकनीक अन्य औषधि पद्दति के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं, उसकी सहयोगी है..
कई गुना अधिक खर्च कर के अन्य दवा पद्दतियो से भी लोगो को आराम नहीं मिला पर ये तकनीक उपचार बोल कर किया जाता है, पर ये उपचार से भी ज्यादा किसी भी रोग से बचने की पद्दति है ..
उपचार का मतलब रोग लगने के ही बाद किया जाय, ये जरुरी नहीं है की ये पद्दति रोग लगने से पहले भी प्रयोग किया जा सकता है जिससे आने वाले समय में किसी भी भयानक या जटिल अवस्था से बचा जा सके | एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, तथा अन्य कोई भी उपचार पद्दति अपनाने के साथ इस पद्दति के उपचार से अन्य पद्दतिया आसानी से तथा जल्दी काम करती है| इस लिए ये पद्दति उपचार से ज्यादा भी रोग मुक्त बनाने की महत्वपूर्ण पद्दति है..
मशीन प्रयोग करने के समय शरीर में करेंट लगने, गर्म होने, दुखने, या कोई अंतर महसूस होता है ?
इस मशीन के द्वारा बहुत ही कम मात्र में बिजली प्रयोग करने के कारण,करेंट लगने, गर्म होने, कोई दर्द होने, या अन्य कोई फर्क महसूस नहीं होता .
क्या ये मशीन १५ बार प्रयोग करने के बाद इसे बढाने की जरुरत नहीं होती..
कम से कम १५ बार इस मशीन का प्रयोग रोगी या निरोगी के लिए अनिवार्य है | १५ बार के प्रयोग से शरीर के ज्यादा से ज्यादा अंगो के टाक्सिन निकालना संभव है, कुछ लोगो के लिए ये १५ दिन में ही पर्याप्त है, पर कोई जरुरी नहीं की १५ बार में ही रोगी को फ़ायदा मिले, एक कोर्स समाप्त करने के बाद कितना फायदा हुवा ये जानने के लिए ३ हफ्ता तक हफ्ते में १ बार प्रयोग कर सकते है, उसी दौरान आप अपने शरीर की जाच भी करा के अनुभव कर सकते है की शाररिक परिवर्तन के साथ अगर कोइ रोग है तो उसकी अवस्था के बारे मे भी जान सकते है | अगर कोइ रोग बाकी है तो पहले कोर्स के खतम होने के ३ सप्ताह के बाद दुसरा कोर्स शुरु करना चाहिए, किसी भी कोर्स के खतम होने के ३ सप्ताह के बाद फिर शुरु करना चाहिए.. और शारीरिक जाच के मध्यम से आप स्वयम् जान सकते है कि आप के शरीर को रोग से कितना आराम है, रोग ठिक होने के बाद भी महिने मे ३-४ बार मशीन का प्रयोग करना भी लाभदायक होता है | यदि शुद्ध प्राकृतिक खान-पान, आयुर्वेदिक खुराक का नियमित प्रयोग करते है, योग अभ्यास के साथ अधिक से अधिक पानी पिते है तो, महिना मे एक बार और साल मे १५ बार का फुल कोर्स अत्यन्त ही लाभदायक है, पर अगर सम्भव नही है तो हफ्ते मे १ बार टोक्सिन निकलना अत्यन्त ही प्रभावकारी होता है |
विभिन्न संक्रमणों की चपेट में आना, प्रतिरोधक क्षमता कम होना, सिरदर्द, जल्दी थकान होना, पाचन-तंत्र संबंधी गड़बडिय़ां और त्वचा संबंधी विकार होने जैसे लक्षण रक्त के अशुद्ध होने का संकेत देते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि किडनी और लिवर विषाक्त पदार्थों को पूरी तरह से बाहर निकालने में असमर्थ होते हैं जो इस मशीन के उपयोग से दूर किया जा सकता है |
१५ बार में कितनी गंदगी निकलती है ?
मशीन के द्वारा निकली हुई गंदगी पानी में फैलने के कारण बहुत ज्यादा लगती है, पर पानी सुखाने के बाद १ ग्राम से ज्यादा नहीं होता, इस लिए कम से कम १५ बार ये कोर्स करना जरुरी होता है, फिर भी वर्षो का जमा हुवा टोक्सिन १५ बार में पूरा नहीं निकल पता, फिर भी पुरे १५ दिन के कोर्स से ३२ ग्राम तक टोक्सिन निकलता है |
क्या मशीन चालू कर के पैर न डालने पर भी पानी का रंग बदलता है ?
पानी विभिन्न तत्वों से बना होता है, पानी में करेंट की मात्रा बढाने के लिए नमक मिलाया जाता है, उस पानी के द्वारा कम शक्ति का करेंट हमारे शरीर में फैलता है, जिस प्रक्रिया से हमारे शरीर के अन्दर जमे हुवे गंदगी के पदार्थ के कण पिघलकर रायसानिक परिवर्तन होने के कारण से पैर के तलवे में माध्यम से बहार आते है | लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान पानी में पैर न डालने से हमारे शरीर में फैलने वाले करेंट सिर्फ पानी और राड में ही घूमते रहते है, इस क्रिया से इसटिलनेस रॉड, नमक और पानी के तत्व आपस में रायसानिक प्रक्रिया ( केमिकल रियेक्सन) के कारण बहुत से रंग आयेगे, बहुत बार यही प्रक्रिया दोहराने पर सिर्फ एक ही रंग आएगा, पर इसी में पैर डालने से अलग ही रंग आएगा जो अलग ही होगा, हर आदमी को हर बार मशीन प्रयोग करने से अलग रंग के विषाक्त पदार्थ देख सकते है.
पानी में पैर न डाले बिना मशीन चलने के बाद गंदगी दिखती है, कैसे माने की हमारे शरीर से ही गंदगी निकलती है ?
शरीर को पैरो में माध्यम से ये मशीन आप के शरीर के टोक्सिन निकलता है, इसके निम्न प्रमाण है :
गंदगी निकलने के बाद शरीर में अधिक तरह के परिवर्तन आते है, रोग अनुसार के अलग रंग के गंदगी स्वयं देख सकते है
ये मशीन हमको कैसे फ़ायदा पहुचाती है ?
ये मशीन हमारे शरीर में असुन्तलित उर्जा को संतुलित कर के, सही उर्जा, स्फूर्ति तथा आनंद बढाती है
शरीर के सभी अंगो में जमे हानिकारक गंदगी को पिघला कर बाहर निकलता है, शरीर के विकारो को पसीना तथा पिसाब के माध्यम से निकालने में मदत करता है, रोग बनाने वाले पदार्थो के निकले के बाद रोग अपने ही ठीक होता है, रोगों के कारण बिगड़े हुवे अंगो को अपने ही ठीक करता है
रोगों के कीटाणुवो को ख़तम कर के हटाने में मदत करता है.
जैसे शरीर के बाहर की गंदगी नहाने के बाद साफ होती है तब अपने को हल्का, फुर्तीला, तथा फ्रेश महसूस करते है, रुखा हुवा पखाना, पिसाब निकलने के बाद भी कितने सुख की अनुभूति होती है, ठीक उसी तरह इस मशीन के माध्यम से शरीर की गंदगी पैरो के माध्यम से निकलने के बाद कई गुना आनंद की अनुभूति तथा फ़ायदा तथा स्वयं को सुख मिलता है |
अनहेल्दी डाइट, कब्ज, तनाव, दूषित पानी पीने, वातावरण में मौजूद दूषित तत्व श्वास के साथ शरीर में पहुंचने और चाय, कॉफी या अल्कोहल का अधिक सेवन करने से शरीर में विषाक्त तत्वों का स्तर बढऩे लगता है। ऐसे में शरीर का डिटॉक्सीफिकेशन यानी विष दूर करना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए हेल्थ एक्सपर्ट भरपूर पानी पीने की सलाह देते हैं।
शरीर से विकार निकलने के अन्य पद्धतिया..
कपालभाती : शरीर में रोग बन्ने वाले तत्वों की निकलने के प्रविधि में कपालभाती भी सबसे उत्तम प्राविधि है
_ कपालभाती की मात्रा बढाने से , सांस्, चमड़ी, मल पिसाब के रास्ते अधिक गंदगी निकलती है
_ कपालभाती नियमित करने से हमारे खान पान, तथा हवा के प्रदुशण द्वारा हमारे शरीर को नुकसान करने वाले तत्व जमा नहीं होते
_साथ ही बने हुवे विषाक्त तत्व भी हमारे शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं पहुचाते
_सामान्य जुकाम खासी से लेकर कैंसर बनाने वाले तत्वों को कपाल भाती के माध्यम से हटाया जा सकता है
डिटॉक्स फूट पैचेस
(KAWASE TAKARA DETOX FOOT PATCH & PRODUCT INVENTOR, DR. KAWASE ITSUKO)
डिटॉक्स फूट पैच एक प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा आपके शरीर से जहरीले तत्वों को निकालने में सहायता कर आपको अपने स्वास्थ्य और प्राणशक्ति को दुबारा पाने में सहायता करते है | डिटॉक्स फूट पैच रिफ्लेक्सोलोजी के सिद्धांत पर काम करता है जोकि इस अवधारणा पर आधारित है की पैर का क्षेत्र शरीर के अन्य क्षेत्रों से संबधित है और वह स्वास्थ्य को बेहतर करता है | ये 100% प्राकृतिक, सुरक्षित, आसान है और तेजी से जहरीले पदार्थों को निकालता है
विकार दूर करने के कई तरीके होते हैं जैसे- व्यायाम, डाइट कंट्रोल, थेरेपी, सांस लेने वाले तरीके, मेडिटेशन और रिलैक्सेशन।
व्यायाम : योग, सांस लेने वाली तकनीक, मेटाबॉलिज्म को मजबूत करने वाली प्रक्रिया है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
सकारात्मक सोच : अपनी सोच सकारात्मक रखें। इससे दिमाग तरोताजा रहता है और चुनौतियों को स्वीकार करने में सक्षम होता है।
पूरी तरह नींद लें : अपनी सहूलियत के मुताबिक पर्याप्त नींद लें। आपकी नींद छह से दस घंटे तक की हो सकती है।
तनाव में न रहें : आप किताबें पढ़कर, संगीत सुनकर, तैराकी कर खुद को तनावमुक्त रख सकते हैं। खुद को रिलैक्स रखें।
पर्याप्त पानी पीएं : शरीर की कोशिकाओं और अंगों को सुचारू रूप से काम करने के लिए पर्याप्त पानी पीएं। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। साथ ही पाचन तंत्र मजबूत करता है।
थेरेपी का रोल : मसाज थेरेपी महज त्वचा के लिए ही लाभकारी नहीं होती है, वह मांसपेशियों शरीर के दूसरे हिस्सों के लिए भी लाभदायक होती है।
डीटॉक्स डाइट : डाइट ऐसी होनी चाहिए जो आसानी से पच सकें जैसे फल, जूस, सब्जियां और हर्बल चाय।
- फाइबर युक्त खाना खाएं।
- लाल मांस, वसा और शक्कर कम लें।
- फ्रूट जूस, सब्जियों के जूस-सूप पीएं।
- धूम्रपान, एल्कोहल, कॉफी और अन्य चीजों से परहेज करें।
जल का विद्युत अपघटन (Electrolysis of water)
जब जल से होकर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो जल के अणुओं का विघटन हो जाता है और हाइड्रोजन एवं आक्सीजन प्राप्त होतीं हैं। इसे ही जल का विद्युत अपघटन (Electrolysis of water) कहते हैं। चूंकि शुद्ध जल विद्युत का कुचालक है इसलिये आसानी से कम वोल्टता लगाकर ही धारा प्रवाहित करने के लिये शुद्ध जल में बहुत कम मात्रा में अम्ल मिला दिया जाता है।
नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकन बैज्ञानिक के बारे में
अमेरिका के दो वैज्ञानिक Peter Agre, Roderick MacKinnon को "पानी चैनलों की खोज (discovery of water channels) और आयन चैनल ("for structural and mechanistic studies of ion channels". ) के बारे में रसायन विज्ञान का 2003 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उन्हों ने ही ये पता लगाया की कोशिका झिल्ली से नमक पानी के माध्यम से आने जाने की क्रिया करता है, उनकी ये तकनीक किडनी, फेफड़ा, मासपेशी के लिए सहायक है | कोशिका झिल्ली के अन्दर पानी के रास्ते रक्त संचार और मांस पेशियों की प्रणाली में महत्व पूर्ण है | आयन के बहाव के माध्यम से विभिन्न कोशिकाओ को बंद या खोला जा सकता है , ये ही उनकी महत्व पूर्ण खोज थी | दोनों वैज्ञानिक मेडिकल की शिक्षा कर के बहुत समय के अनुसन्धान में लगे थे |
उनके इसी खोज के सिद्धांत पर बनाया हुवा ये मशीन आज विश्व भर में लोकप्रियता के साथ लोगो ने अपनाया है, जिसके कारण असंख्य लोग इस प्रविधि का लाभ उठा रहे है
कोशिका झिल्ली एक अर्ध पारगम्य सजीव झिल्ली है जो प्रत्येक सजीव कोशिका के जीव द्रव्य को घेर कर रखती है। कोशिका झिल्ली का निर्माण तीन परतों से मिलकर होता है, इसमें से बाहरी एवं भीतरी परतें प्रोटीन द्वारा तथा मध्य वाली परत का निर्माण लिपिड या वसा द्वारा होता है। यह कोशिका की आकृति का निर्माण करती है एवं जीव द्रव्य की रक्षा करती है। अन्तर कोशिकीय विसरण एवं परासरण की क्रिया को नियंत्रित करने के साथ-साथ यह विभिन्न रचनाओं के निर्माण में भी सहायता करती है।
चमत्कारिक तथा प्रभावकारी विषय
जौ संसार का सबसे गुणकारी अन्न
• संसार में पहिला अन्न
• संसार में सबसे सुद्ध अन्न
• संसार में सबसे गुणकारी अन्न
• बिना किसी रायसानिक खाद के फलने वाला अन्न
• किसी भी रोगी को खाने वाला अन्न
• बिना किसी समस्या के लम्बे समय तक रखा जाने वाला अन्न
• किसी भी रोगी को जल्द ठीक करने वाला पोषक अन्न
अगर आप डीटोक्स थैरेपी का सिर्फ १५ दिनों का एक कोर्स करते है तो ऐसी बीमारिया छू मंतर
- शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने के लिए लीवर को प्रोत्साहित करता है।
- किडनी, आंत और त्वचा से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज करता है।
- रक्त का परिसंचरण सुधारता है।
- शरीर को स्वस्थ पोषक तत्वों से दोबारा भर देता है।
- इस मशीन के प्रयोग से शरीर के अंगो में जमीं टॉक्सिन को गला कर निकाला जाता है जिससे हम अपने को निर्भीक हो कर स्वस्थ महसूस कर सकते है..
- जैसे हम अपने घर की सफाई करते है, अपने वाहन की रिपेयरिंग करते है बस ठीक उसी तरह इस प्रकिया से मशीन के द्वारा अपने शरीर की सफाई करते है, जिससे हमारे शरीर के ख़राब हुवे अंग, कमजोर अंग सभी मजबूत हो कर हमें खुशियों की अनुभूति करते है ..
- बहुतो को दवा के उपचार से फ़ायदा न हो कर इस मशीन के प्रयोग से लाभ मिला है |
- आरामदायक प्रयोग, बिना किसी दवा के इस चमत्कारी मशीन का उपयोग करना ख़ुशी की बात है
- जिज्ञासा, शंका होने पर पूछने से अच्छा इस मशीन का प्रयोग और स्वयं परिक्षण कर के विश्वास पा सकते है |
- इस तकनीक के वैज्ञानिक प्रविधि के आधार, तर्कपूर्ण करके अनुमान करने का कष्ट न करे, बस एक पूरा कोर्स करके अनुभव और प्रमाण का विश्वास अनुभव करे |
- आप इन्टरनेट के माध्यम से खोज कर फ़ायदा हुवे मरीजो से मिल कर तथा विडियो के माध्यम से निकले हुवे शरीर के गंदगी को देख कर भी १००% विश्वास कर पायेगे, उसके बाद स्वयं इस मशीन का प्रयोग कर और अपने मित्रो, रिश्तेदारों को बता कर स्वस्थ जीवन के आधार का पुण्य कमा सकते है |
- रोगी को उपचार का रास्ता दिखाना धर्म का काम है |
- प्रयोग, परिक्षण न किये बिना शंका करना पाप है |
ख़ुशी की खबर
- सालो से हमारे शरीर के लीवर, किडनी जैसे अंग और नसों में जमे हुवे विषाक्त तत्व जो आने वाले दिनों में भयानक बीमारियों का रूप ले सकती है, ऐसे तत्वों को कुछ ही महीनो में आसानी से आप के आख के सामने ही निकल जाता है |
- करेंट लगने, हिलाने डुलने, बिना किसी दर्द, और किसी कष्ट को नहीं सहना पड़ता, पैर के तलवे से पसीना निकने के लिए हजारो छिद्र होते है जिसके माध्यम से ये मशीन आप के शरीर में जमा विषाक्त तत्वों को निकल देता है, जिससे स्वयं को ख़ुशी महसूस होती है|
- पश्चिमी देशे के हेल्थ क्लब, हॉस्पिटल, और घर घर में वर्षो से प्रयोग कर रहे, हमें भी निश्चिंत हो कर ये प्राविधि इस्तेमाल करना चाहिए |
- स्वस्थ सम्बन्धी अन्य मशीन से ये मशीन ज्यादा आरामदायक और सुरक्षित है |
- अन्य उपचार की पद्दतियो से ठीक न होने पर बहुतो के जटिल तथा पुराने रोग इस प्राविधि के माध्यम से ठीक होने पर लोगो में ख़ुशी, उत्साह तथा उनका हौसला भी मजबूत हुवा है |
- वर्षो ब्यायाम करने के पश्चात भी न शरीर के विषाक्त तत्व न निकलने पर अंगो के गंदगी इस तकनीक से निकले पर मन ज्यादा प्रसन्न होता है |
- पूरा शरीर मतलब किडनी, लीवर, फेफड़ा, पेट, नर्वस सिस्टम सभी अपने ही साफ कर लेने पर सभी लोगो को ख़ुशी महसूस होता है |
- रोग बढ़ाने वाले स्वादिष्ट भोजन पार्टी, होटल में खा कर दुसरे दिन इस मशीन का प्रयोग कर के इसके होने वाले दुर्ब्यासन से बच सकते है, और स्वादिष्ट भोजन भी पार्टी, होटल में खा सकते है, ये तो अत्यधिक ख़ुशी की खबर है..
- ये मशीन रोग लगने के बाद प्रयोग करने वालो के लिए ही नहीं, निरोगी भी १५ दिन का कोर्स कर के हफ्ते में १ बार कर सकते है, जिससे भविष्य में खतरनाक बीमारी से बच सकते है |
- शरीर की अंदरूनी गंदगी देख कर किस अंग में कितने रोग के विकार जमा है, ये आप स्वयं देख सकते है, साथ ही भविष्य में होने वाली बीमारी को अलविदा कहना भी ख़ुशी की खबर है |
- बिना झंझट, बिना दुःख, बिना साइड इफेक्ट, बिना किसी दवा, बिना डॉक्टर बिना हॉस्पिटल, पता नहीं कितने बीमारियों का समाधान एक ही तकनीक से बीमारी को अलविदा कहना भी ख़ुशी की खबर है |
- आप स्वयं प्रयोग एवम अनुभव कर के स्वस्थ और सुखी बने, तब अपनी ख़ुशी दुसरो को बता के और को भी स्वस्थ और सुखी बनाये... सुख और ख़ुशी बाटना इस संसार का सबसे बड़ा धर्म है..
महत्व तथा फ़ायदा
जटिल तथा अंतिम अवस्था के रोगी भी जो सभी तरह के उपचार कर के निराश हो चुके है, वो मरीज भी इस मशीन का प्रयोग कर के लाभ पा सकते है, ऐसे मरीज पूर्ण रूप से ठीक न हो कर भी ज्यादा ही लाभ मिलता है क्यों की रोग बनाने वाले तत्व निकालने के पश्चात और औषधि उपचार अधिक प्रभावकारी होती है, इस तरह इस प्राविधि के द्वारा जटिल तथा अंतिम अवस्था के रोगी भी लाभ पा सकते है |
सामान्य तथा शुरू के अवस्था के रोगी भी अपने शरीर में रोग लगने वाले तत्व का पता लगा कर जल्दी ही आराम पा सकते है, शरीर की गंदगी निकलने के पश्चात अन्य दवा के उपचार से जल्दी ही आराम होता है | अधिक लोगो में तो सिर्फ शरीर की गंदगी निकलने से ही आराम देखा गया है. दवा के माध्यम से पहले किये हुवे उपचार होने के बाद भी इस तकनीक का प्रयोग करने से पुनः उस बीमारी से बच सकते है, इस तकनीक में अन्य दवा के उपचार के साइड एफेक्ट से बच सकते है, और रोग भी जटिल नहीं होता, रोग सामान्य अवस्था में इस मशीन का प्रयोग करना ख़ुशी की बात है |
निरोगी ब्यक्ति के लिए ये मशीन किसी बीमारी के शुरू होने से पहले ये मशीन का प्रयोग करना सबसे अच्छा है अभी तक कोई ऐसी दवा या उपचार जिसके खाने या प्रयोग करने से बीमारी न हो, लेकिन ये चमत्कारी मशीन आप की सहायता करती है, जो आप के शरीर में रोग बनाने वाले तत्वों को आप के ही आख के सामने निकालता है, और भविष्य में होने वाले खतरनाक रोगों को बचाता है | शरीर के हर एक अंग में वर्षो से जमा हुवे टोक्सिन को निकाल कर अंगो को साफ करता है और उनको मजबूत बनाता है | खाने के माध्यम से, बाहरी वातावरण के प्रदुषण से जमा हुवे टोक्सिन को आराम के साथ आप के पैरो के तलवो से ये मशीन निकलता है उसके बाद आप के सारे अंग साफ तथा स्वच्छ होते है जिससे आप स्वयं का खुश और निरोगी महसूस करते है, इस लिए ये मशीन निरोगी ब्यक्ति को इस्तेमाल करना सबसे बुद्धिमानी का काम है
रोग लगने वाले विषाक्त तत्व (Ion Cleanse) को निकलने की विधि
- पैर के तलवे में हजारो छेद होते है, उन्ही छेदों के माध्यम से शरीर के अंगो में जमे विषाक्त तत्वों को निकल सकते है..
- हमारे शरीर के सारे अंगो का पॉइंट पैर के तलुवे से जुड़ा होता है
- शुरू में पानी के बर्तन में पैर डाल कर मशीन चालू कर के ३० मिनट तक रखना पड़ता है ..
- मशीन से १२ से १६ वोल्ट का डी सी करेंट पानी में आता है जो हमारे शरीर में कुछ महसूस नहीं होता पर शरीर के सभी अंगो में वो करेंट प्रवाह होता है..
- शरीर के कोने कोने में जमे, सर से ले कर पैर के सभी भीतरी अंगो, नसों, तथा हड्डी में जमे सभी टाक्सिन को मशीन की प्रविधि गला कर बर्तन में रखे पानी में छोड़ देती है, जो रंगों के माध्यम से आप स्वयं देख सकते है, ये टोक्सिन हमारे शरीर के किस अंग से निकला है |
- मशीन द्वारा बनाये हुवे निगेटिव आयन हमारे शरीर के कोने कोने में पहुचता है और हमारे शरीर के पोसिटिव आयन के साथ शरीर के टोक्सिन रायसानिक परिवर्तन हो कर पसीना के छेदों के माध्यम से बहार आते है |
- शरीर के अन्दर के ख़राब तत्व (टोक्सिन) जैसे तो नहीं आते पर रंग, गुण, और गंध में परिवर्तन हो कर आते है |
- पानी में निकले पदार्थ रंग के आधार पर, शरीर के किस अंग से निकला है, पता चल जाता है |
मशीन से संबधित बहुउपयोगी प्रश्न के उत्तर
इतनी आसानी से, इतनी सस्ती, इतनी गुणकारी और अनगिनत फायदा करने वाली अगर ये मशीन है तो इतनी प्रभावकारी मशीन का पता क्यों नहीं चला, और इसका प्रचार प्रसार क्यों नहीं किया गया ?
इस मशीन के प्रसिद्धि के बारे में ब्यापक प्रचार न होने के कारण
क्या इस संसार में अब कोई उपचार या दवा नहीं चाहिए ?
इस संसार में कोई भी चीज अपने में पूर्ण नहीं है, ये पद्दति अन्य औषधि उपचार में लगने वाला खर्च, दुःख, झंझट तो अवश्य ही घटाता है, पर किसी भी रोगी को कोई अन्य कोई औषधि उपचार न कराना पड़े ! ये निश्चित नहीं है, अन्य उपचार पद्दति के साथ ये तकनीक भी रोगी को जल्दी आराम दिलाती है इस पद्दति का प्रयोग कर के मरीज अधिक आकर्षित होते है, इस लिए ये तकनीक अन्य औषधि पद्दति के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं, उसकी सहयोगी है..
क्या ये एक उपचार ही है ?
- कीजिये, पुरे शरीर की सर्विसिंग
- शरीर के सभी अंगो में सालो से जमे हुवे रोग बनाने वाले तत्वों को ये मशीन पैर के तलवों के माध्यम से निकाल देता है ..
- शरीर के बाहरी चमड़ी से ले कर हार्ट, लीवर, गुर्दा के साथ शरीर के सभी अंगो और शरीर के कमजोर नसों को साफ कर मजबूत बनता है ..
- इस सफाई प्रक्रिया के बाद शरीर के सरे अंग ठीक से काम करते है
- शरीर के ख़राब और शिथिल हुवे अंगो को रिकवर कर के मजबूत करता है..
- इस तरह शरीर के सभी रोगों के जो होने की संभावना होती है वो दूर होती है और हम सुखी और स्वस्थ रह सकते है ..
कई गुना अधिक खर्च कर के अन्य दवा पद्दतियो से भी लोगो को आराम नहीं मिला पर ये तकनीक उपचार बोल कर किया जाता है, पर ये उपचार से भी ज्यादा किसी भी रोग से बचने की पद्दति है ..
उपचार का मतलब रोग लगने के ही बाद किया जाय, ये जरुरी नहीं है की ये पद्दति रोग लगने से पहले भी प्रयोग किया जा सकता है जिससे आने वाले समय में किसी भी भयानक या जटिल अवस्था से बचा जा सके | एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, तथा अन्य कोई भी उपचार पद्दति अपनाने के साथ इस पद्दति के उपचार से अन्य पद्दतिया आसानी से तथा जल्दी काम करती है| इस लिए ये पद्दति उपचार से ज्यादा भी रोग मुक्त बनाने की महत्वपूर्ण पद्दति है..
मशीन प्रयोग करने के समय शरीर में करेंट लगने, गर्म होने, दुखने, या कोई अंतर महसूस होता है ?
इस मशीन के द्वारा बहुत ही कम मात्र में बिजली प्रयोग करने के कारण,करेंट लगने, गर्म होने, कोई दर्द होने, या अन्य कोई फर्क महसूस नहीं होता .
क्या ये मशीन १५ बार प्रयोग करने के बाद इसे बढाने की जरुरत नहीं होती..
कम से कम १५ बार इस मशीन का प्रयोग रोगी या निरोगी के लिए अनिवार्य है | १५ बार के प्रयोग से शरीर के ज्यादा से ज्यादा अंगो के टाक्सिन निकालना संभव है, कुछ लोगो के लिए ये १५ दिन में ही पर्याप्त है, पर कोई जरुरी नहीं की १५ बार में ही रोगी को फ़ायदा मिले, एक कोर्स समाप्त करने के बाद कितना फायदा हुवा ये जानने के लिए ३ हफ्ता तक हफ्ते में १ बार प्रयोग कर सकते है, उसी दौरान आप अपने शरीर की जाच भी करा के अनुभव कर सकते है की शाररिक परिवर्तन के साथ अगर कोइ रोग है तो उसकी अवस्था के बारे मे भी जान सकते है | अगर कोइ रोग बाकी है तो पहले कोर्स के खतम होने के ३ सप्ताह के बाद दुसरा कोर्स शुरु करना चाहिए, किसी भी कोर्स के खतम होने के ३ सप्ताह के बाद फिर शुरु करना चाहिए.. और शारीरिक जाच के मध्यम से आप स्वयम् जान सकते है कि आप के शरीर को रोग से कितना आराम है, रोग ठिक होने के बाद भी महिने मे ३-४ बार मशीन का प्रयोग करना भी लाभदायक होता है | यदि शुद्ध प्राकृतिक खान-पान, आयुर्वेदिक खुराक का नियमित प्रयोग करते है, योग अभ्यास के साथ अधिक से अधिक पानी पिते है तो, महिना मे एक बार और साल मे १५ बार का फुल कोर्स अत्यन्त ही लाभदायक है, पर अगर सम्भव नही है तो हफ्ते मे १ बार टोक्सिन निकलना अत्यन्त ही प्रभावकारी होता है |
विभिन्न संक्रमणों की चपेट में आना, प्रतिरोधक क्षमता कम होना, सिरदर्द, जल्दी थकान होना, पाचन-तंत्र संबंधी गड़बडिय़ां और त्वचा संबंधी विकार होने जैसे लक्षण रक्त के अशुद्ध होने का संकेत देते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि किडनी और लिवर विषाक्त पदार्थों को पूरी तरह से बाहर निकालने में असमर्थ होते हैं जो इस मशीन के उपयोग से दूर किया जा सकता है |
१५ बार में कितनी गंदगी निकलती है ?
मशीन के द्वारा निकली हुई गंदगी पानी में फैलने के कारण बहुत ज्यादा लगती है, पर पानी सुखाने के बाद १ ग्राम से ज्यादा नहीं होता, इस लिए कम से कम १५ बार ये कोर्स करना जरुरी होता है, फिर भी वर्षो का जमा हुवा टोक्सिन १५ बार में पूरा नहीं निकल पता, फिर भी पुरे १५ दिन के कोर्स से ३२ ग्राम तक टोक्सिन निकलता है |
क्या मशीन चालू कर के पैर न डालने पर भी पानी का रंग बदलता है ?
पानी विभिन्न तत्वों से बना होता है, पानी में करेंट की मात्रा बढाने के लिए नमक मिलाया जाता है, उस पानी के द्वारा कम शक्ति का करेंट हमारे शरीर में फैलता है, जिस प्रक्रिया से हमारे शरीर के अन्दर जमे हुवे गंदगी के पदार्थ के कण पिघलकर रायसानिक परिवर्तन होने के कारण से पैर के तलवे में माध्यम से बहार आते है | लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान पानी में पैर न डालने से हमारे शरीर में फैलने वाले करेंट सिर्फ पानी और राड में ही घूमते रहते है, इस क्रिया से इसटिलनेस रॉड, नमक और पानी के तत्व आपस में रायसानिक प्रक्रिया ( केमिकल रियेक्सन) के कारण बहुत से रंग आयेगे, बहुत बार यही प्रक्रिया दोहराने पर सिर्फ एक ही रंग आएगा, पर इसी में पैर डालने से अलग ही रंग आएगा जो अलग ही होगा, हर आदमी को हर बार मशीन प्रयोग करने से अलग रंग के विषाक्त पदार्थ देख सकते है.
पानी में पैर न डाले बिना मशीन चलने के बाद गंदगी दिखती है, कैसे माने की हमारे शरीर से ही गंदगी निकलती है ?
शरीर को पैरो में माध्यम से ये मशीन आप के शरीर के टोक्सिन निकलता है, इसके निम्न प्रमाण है :
गंदगी निकलने के बाद शरीर में अधिक तरह के परिवर्तन आते है, रोग अनुसार के अलग रंग के गंदगी स्वयं देख सकते है
- बहुत लोगो को टोक्सिन निकलने के बाद शरीर हल्का, चेहरे पर ताजगी, तथा चमक दिखता है |
- ताकत न होने पर कुछ लोगो को थकान, कमजोरी महसूस होता है |
- जैसे स्टीम बाथ, सोना बाथ, गरम पानी से नहाने के बाद पसीने के माध्यम से गंदगी निकलती है, और आराम महसूस होता है, उसी तरह
- इस मशीन के प्रयोग के बाद भी महसूस होता है |
- शरीर में दर्द, जलन, खुजली, सुन्न होने की समस्या है तो ये टोक्सिन
- निकलने के बाद कम होता महसूस होता है, पिसाब तथा पसीना ज्यादा
- हो सकता है, पिसाब और पैखाने में दुर्गन्ध अधिक हो सकती है |
- अगर शरीर के अन्दर कोई धातु का प्रत्यारोपण है तो वो इस मशीन के प्रयोग करने से इलेट्रोलैसिस के द्वारा पिघल कर बाहर आ सकता है |
- कोर्स शुरू करने से पहले होल बॉडी चेकअप करा के पूरा कोर्स समाप्त करने के बाद चेक करा के हर अंग के रिपोर्ट में अंतर देख सकते है, और सुधार आप को स्वयं महसूस होगा |
- चहरे, चमड़ी में चमक, नींद तथा आलस्य में सुधर दिखेगा
- पाचन शक्ति बढना, भूक प्यास ज्यादा लगना, भारीपन, तनाव कम होने के लक्षण दिख सकते है
- सांस्, पसीना, और शारीरिक गंध ख़तम होते है
ये मशीन हमको कैसे फ़ायदा पहुचाती है ?
ये मशीन हमारे शरीर में असुन्तलित उर्जा को संतुलित कर के, सही उर्जा, स्फूर्ति तथा आनंद बढाती है
शरीर के सभी अंगो में जमे हानिकारक गंदगी को पिघला कर बाहर निकलता है, शरीर के विकारो को पसीना तथा पिसाब के माध्यम से निकालने में मदत करता है, रोग बनाने वाले पदार्थो के निकले के बाद रोग अपने ही ठीक होता है, रोगों के कारण बिगड़े हुवे अंगो को अपने ही ठीक करता है
रोगों के कीटाणुवो को ख़तम कर के हटाने में मदत करता है.
जैसे शरीर के बाहर की गंदगी नहाने के बाद साफ होती है तब अपने को हल्का, फुर्तीला, तथा फ्रेश महसूस करते है, रुखा हुवा पखाना, पिसाब निकलने के बाद भी कितने सुख की अनुभूति होती है, ठीक उसी तरह इस मशीन के माध्यम से शरीर की गंदगी पैरो के माध्यम से निकलने के बाद कई गुना आनंद की अनुभूति तथा फ़ायदा तथा स्वयं को सुख मिलता है |
अनहेल्दी डाइट, कब्ज, तनाव, दूषित पानी पीने, वातावरण में मौजूद दूषित तत्व श्वास के साथ शरीर में पहुंचने और चाय, कॉफी या अल्कोहल का अधिक सेवन करने से शरीर में विषाक्त तत्वों का स्तर बढऩे लगता है। ऐसे में शरीर का डिटॉक्सीफिकेशन यानी विष दूर करना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए हेल्थ एक्सपर्ट भरपूर पानी पीने की सलाह देते हैं।
शरीर से विकार निकलने के अन्य पद्धतिया..
कपालभाती : शरीर में रोग बन्ने वाले तत्वों की निकलने के प्रविधि में कपालभाती भी सबसे उत्तम प्राविधि है
_ कपालभाती की मात्रा बढाने से , सांस्, चमड़ी, मल पिसाब के रास्ते अधिक गंदगी निकलती है
_ कपालभाती नियमित करने से हमारे खान पान, तथा हवा के प्रदुशण द्वारा हमारे शरीर को नुकसान करने वाले तत्व जमा नहीं होते
_साथ ही बने हुवे विषाक्त तत्व भी हमारे शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं पहुचाते
_सामान्य जुकाम खासी से लेकर कैंसर बनाने वाले तत्वों को कपाल भाती के माध्यम से हटाया जा सकता है
डिटॉक्स फूट पैचेस
(KAWASE TAKARA DETOX FOOT PATCH & PRODUCT INVENTOR, DR. KAWASE ITSUKO)
डिटॉक्स फूट पैच एक प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा आपके शरीर से जहरीले तत्वों को निकालने में सहायता कर आपको अपने स्वास्थ्य और प्राणशक्ति को दुबारा पाने में सहायता करते है | डिटॉक्स फूट पैच रिफ्लेक्सोलोजी के सिद्धांत पर काम करता है जोकि इस अवधारणा पर आधारित है की पैर का क्षेत्र शरीर के अन्य क्षेत्रों से संबधित है और वह स्वास्थ्य को बेहतर करता है | ये 100% प्राकृतिक, सुरक्षित, आसान है और तेजी से जहरीले पदार्थों को निकालता है
विकार दूर करने के कई तरीके होते हैं जैसे- व्यायाम, डाइट कंट्रोल, थेरेपी, सांस लेने वाले तरीके, मेडिटेशन और रिलैक्सेशन।
व्यायाम : योग, सांस लेने वाली तकनीक, मेटाबॉलिज्म को मजबूत करने वाली प्रक्रिया है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
सकारात्मक सोच : अपनी सोच सकारात्मक रखें। इससे दिमाग तरोताजा रहता है और चुनौतियों को स्वीकार करने में सक्षम होता है।
पूरी तरह नींद लें : अपनी सहूलियत के मुताबिक पर्याप्त नींद लें। आपकी नींद छह से दस घंटे तक की हो सकती है।
तनाव में न रहें : आप किताबें पढ़कर, संगीत सुनकर, तैराकी कर खुद को तनावमुक्त रख सकते हैं। खुद को रिलैक्स रखें।
पर्याप्त पानी पीएं : शरीर की कोशिकाओं और अंगों को सुचारू रूप से काम करने के लिए पर्याप्त पानी पीएं। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। साथ ही पाचन तंत्र मजबूत करता है।
थेरेपी का रोल : मसाज थेरेपी महज त्वचा के लिए ही लाभकारी नहीं होती है, वह मांसपेशियों शरीर के दूसरे हिस्सों के लिए भी लाभदायक होती है।
डीटॉक्स डाइट : डाइट ऐसी होनी चाहिए जो आसानी से पच सकें जैसे फल, जूस, सब्जियां और हर्बल चाय।
- फाइबर युक्त खाना खाएं।
- लाल मांस, वसा और शक्कर कम लें।
- फ्रूट जूस, सब्जियों के जूस-सूप पीएं।
- धूम्रपान, एल्कोहल, कॉफी और अन्य चीजों से परहेज करें।
जल का विद्युत अपघटन (Electrolysis of water)
जब जल से होकर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो जल के अणुओं का विघटन हो जाता है और हाइड्रोजन एवं आक्सीजन प्राप्त होतीं हैं। इसे ही जल का विद्युत अपघटन (Electrolysis of water) कहते हैं। चूंकि शुद्ध जल विद्युत का कुचालक है इसलिये आसानी से कम वोल्टता लगाकर ही धारा प्रवाहित करने के लिये शुद्ध जल में बहुत कम मात्रा में अम्ल मिला दिया जाता है।
नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकन बैज्ञानिक के बारे में
अमेरिका के दो वैज्ञानिक Peter Agre, Roderick MacKinnon को "पानी चैनलों की खोज (discovery of water channels) और आयन चैनल ("for structural and mechanistic studies of ion channels". ) के बारे में रसायन विज्ञान का 2003 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उन्हों ने ही ये पता लगाया की कोशिका झिल्ली से नमक पानी के माध्यम से आने जाने की क्रिया करता है, उनकी ये तकनीक किडनी, फेफड़ा, मासपेशी के लिए सहायक है | कोशिका झिल्ली के अन्दर पानी के रास्ते रक्त संचार और मांस पेशियों की प्रणाली में महत्व पूर्ण है | आयन के बहाव के माध्यम से विभिन्न कोशिकाओ को बंद या खोला जा सकता है , ये ही उनकी महत्व पूर्ण खोज थी | दोनों वैज्ञानिक मेडिकल की शिक्षा कर के बहुत समय के अनुसन्धान में लगे थे |
उनके इसी खोज के सिद्धांत पर बनाया हुवा ये मशीन आज विश्व भर में लोकप्रियता के साथ लोगो ने अपनाया है, जिसके कारण असंख्य लोग इस प्रविधि का लाभ उठा रहे है
कोशिका झिल्ली एक अर्ध पारगम्य सजीव झिल्ली है जो प्रत्येक सजीव कोशिका के जीव द्रव्य को घेर कर रखती है। कोशिका झिल्ली का निर्माण तीन परतों से मिलकर होता है, इसमें से बाहरी एवं भीतरी परतें प्रोटीन द्वारा तथा मध्य वाली परत का निर्माण लिपिड या वसा द्वारा होता है। यह कोशिका की आकृति का निर्माण करती है एवं जीव द्रव्य की रक्षा करती है। अन्तर कोशिकीय विसरण एवं परासरण की क्रिया को नियंत्रित करने के साथ-साथ यह विभिन्न रचनाओं के निर्माण में भी सहायता करती है।
चमत्कारिक तथा प्रभावकारी विषय
जौ संसार का सबसे गुणकारी अन्न
• संसार में पहिला अन्न
• संसार में सबसे सुद्ध अन्न
• संसार में सबसे गुणकारी अन्न
• बिना किसी रायसानिक खाद के फलने वाला अन्न
• किसी भी रोगी को खाने वाला अन्न
• बिना किसी समस्या के लम्बे समय तक रखा जाने वाला अन्न
• किसी भी रोगी को जल्द ठीक करने वाला पोषक अन्न
अगर आप डीटोक्स थैरेपी का सिर्फ १५ दिनों का एक कोर्स करते है तो ऐसी बीमारिया छू मंतर
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे : 08423910092 / 09026299394
— at श्रियम आरोग्य सेवा केंद्र.
Thanks yaar
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