शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

डिटॉक्स

डिटॉक्स शब्द का अर्थ है शरीर के आंतरिक तंत्र को भोजन में मौजूद विषैले और दूसरे हानिकारक रसायनों से मुक्त करना। इसलिए बहुत जरूरी है कि हम अपने शरीर को महीने में एक बार तीन से पांच दिन के लिए डिटॉक्सीफाई करें। डिटॉक्स या डिटॉक्सीफिकेशन डाइट काफी लोकप्रिय है, लेकिन यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं है। 

वैसे आयुर्वेद और चायनीज मेडिसिन सिस्टम और संसार की कई संस्कृतियों में सदियों से इनका प्रचलन है- आराम करो, सफाई करो और अपने शरीर का पोषण करो। अपने शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने के बाद, उसे पोषक भोजन खिलाएं। डिटॉक्सीफिकेशन आपको बीमारियों से बचाता है और आपके स्वास्थ्य को बनाए रखने की क्षमता को पुनर्जीवित करता है। शरीर के हीलिंग सिस्टम को डिटॉक्सीफिकेशन बेहतर बनाता है।

डाइट प्लान सबसे पहले तो टॉक्सिन का सेवन कम करें। अल्कोहल, कॉफी, सिगरेट, रिफाइंड शूगर और सैचुरेटेड फैट, ये सब शरीर में टॉक्सिन का कार्य करते हैं और शरीर की कार्यप्रणाली में बाधा डालते हैं। 

एक अच्छी डिटॉक्स डाइट में 60 प्रतिशत तरल और 40 प्रतिशत ठोस खाद्य पदार्थ होना चाहिए।डिटॉक्सीफिकेशन का पहला नियम है अपने शरीर को हाइड्रेड रखें।
जूस: ढेर सारे फलों जैसे तरबूज, पपीता और खीरे का जूस पिएं, लेकिन अंगूर का रस न पिएं, क्योंकि यह डिटॉक्स प्रणाली में रुकावट पैदा करता है। 

सब्जियां: गहरी हरी पत्तेदार सब्जियों, फूलगोभी, पत्तागोभी और ब्रोकली को भोजन में प्रमुखता से शामिल करें। इनके अलावा प्याज भी एक अच्छा क्लीनजिंग एजेंट है। शलजम लीवर को डिटॉक्स करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बीज में फ्लैक्स, सीसैम, सनफ्लावर और कद्दू काफी फायदेमंद हैं। फलों में पपीता और पाइन एप्पल क्लीनजिंग के लिए बहुत अच्छे हैं। 

कैसे और कब आदर्श रूप से किसी को तीन महीने में एक बार एक सप्ताह के लिए डिटॉक्स डाइट पर रहना चाहिए। अगर आप मोटे हैं तो हर वीकएंड पर डिटॉक्स कर सकते हैं। अगर आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक है, डायबिटीज या ब्लड प्रेशर है तो हर दो महीने में डिटॉक्स करें। अगर आप तनावभरी जिंदगी जी रहे हैं तो 15 दिन में एक बार डिटॉक्स जरूर करें। जब आप डिटॉक्स करें तो कैफीन, ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें प्रिजर्वेटिव हो, चीनी और वसा युक्त जंक फूड का सेवन न करें। स्मोकिंग और शराब का सेवन भी न करें। लंबे समय तक डिटॉक्स डाइट पर न रहें, क्योंकि इससे शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी हो जाती है। इससे डीहाइड्रेशन भी हो सकता है। 

कैसे जानें कि शरीर में विषैले तत्व जमा हो गए हैं आधुनिक जीवनशैली, शहरी परिवेश की दौड़भाग और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण ने लोगों के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है और हमारे शरीर में टॉक्सिन की मौजूदगी को बढ़ा दिया है। कुछ लक्षण हैं जिन पर नजर रख कर आप पहचान सकते हैं कि आपको डिटॉक्सीफिकेशन की जरूरत है। 

थकान और कमजोरी महसूस होना। हार्मोन संबंधी समस्या (मूड स्विंग)। ध्यान केंद्रन की समस्या। सिरदर्द और बदन दर्द। त्वचा संबंधी समस्याएं। पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं। भार कम करने में समस्या होना। कैसे कार्य करता है डिटॉक्सीफिकेशन उपवास के द्वारा शरीर के अंगों को आराम पहुंचाता है। शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने के लिए लीवर को प्रोत्साहित करता है। किडनी, आंत और त्वचा से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज करता है। रक्त का परिसंचरण सुधारता है। शरीर को स्वस्थ पोषक तत्वों से दोबारा भर देता है। 

डिटॉक्सीफिकेशन 10 टिप्स 
ढेर सारा फाइबर खाएं, जिसमें ब्राउन राइस, ताजे फल और सब्जियां, चुकंदर, मूली, पत्तागोभी, ब्रोकली शामिल हों। ये डिटॉक्सीफिकेशन के बहुत अच्छे स्त्रोत हैं। अपने लीवर को हर्बल टी या ग्रीन टी के द्वारा भी साफ कर सकते हैं। विटामिन सी का अधिक मात्रा में सेवन करें, जो लीवर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मददगार होते हैं। दिन में कम से कम चार लीटर पानी पिएं। गहरी सांस लें, ताकि अधिक मात्रा में ऑक्सीजन शरीर में प्रवाहित हो। सोना बाथ लें, ताकि पसीने के साथ व्यर्थ पदार्थ शरीर से बाहर निकल सकें। बेहतर नींद, सकारात्मक दृष्टिकोण, मस्तिष्क की स्पष्टता बनाए रखें। असंतुलित भोजन, नकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण और शारीरिक निष्क्रियता से शरीर में टॉक्सिन इकट्ठा होने लगते हैं। इन सबसे बचने का प्रयास करें। शाकाहारी भोजन लें। यह शरीर पर अधिक दबाव नहीं डालता। जो लोग नियमित रूप से कैफीन या सोडा ड्रिंक लेते हैं, उनके शरीर में भी टॉक्सिन इकट्ठे हो जाते हैं। इनका सेवन बंद कर दें या बिल्कुल कम कर दें। कैफीन का सेवन बंद करने से होने वाले सिरदर्द से निपटने के लिए अधिक मात्रा में विटामिन बी 5 का सेवन कर सकते हैं। गर्म पानी में आधा नींबू निचोड़ कर पिएं। नींबू-पानी इस काम में बेहद फायदेमंद है। लेकिन यह ध्यान रखें कि इसमें कभी नमक या चीनी न मिलाएं। त्रिफला भी एक अच्छा विकल्प है। हल्के गर्म पानी में आधा चम्मच त्रिफला मिलाएं। आधा घुलने तक चम्मच से हिलाते रहें। छलनी से छान कर इसे पी लें। एलोवेरा जूस शरीर से जहरीली चीजों को निकालने के लिए एक बेहतरीन साधन है। दो चम्मच एलोवेरा जूस को एक कप पानी में मिलाएं और दिन में दो बार पिएं। डिटॉक्स डाइट के लाभ इम्यूनिटी को सुधारता है और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है। पाचन मार्ग की सफाई करता है। रक्त को शुद्घ करता है। त्वचा को चमकदार बनाए रखता है। उत्तकों को नष्ट करने वाले फ्री रैडिकल्स को शरीर से बाहर निकालता है। कैंसर और दूसरी बीमारियों के खतरे को कम करता है। रक्त को शुद्घ करता है। लीवर और किडनी की कार्यप्रणाली को सुधारता है। बुरी आदतों जैसे प्रोसेस्ड फूड, शूगर, कैफीन और शराब के सेवन पर नियंत्रण हो जाता है। इन बातों को नजरअंदाज न करें गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं और जिन्हें थायराइड, लीवर और किडनी की समस्या हो, डिटॉक्स डाइट पर न जाएं। जिन लोगों ने अंग प्रत्यारोपण करवाया हो, वह डिटॉक्स डाइट न लें। बुजुर्गों और बच्चों को भी इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है। जो लोग मल्टीविटामिन का सेवन कर रहे हैं, उन्हें डिटॉक्स के दौरान इनका सेवन बंद कर देना चाहिए। डायबिटीज, हाइपरटेंशन, थायराइड और हृदय की समस्याओं के रोगी डिटॉक्स के साथ इन दवाओं का सेवन जारी रख सकते हैं। बरतें सावधानी किसी को भी डिटॉक्स डाइट किसी विशेषज्ञ न्युट्रीशिनिस्ट के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए और कुछ बातों का पालन करना चाहिए। जब आप डिटॉक्स डाइट पर जाएं, आपको खुद को भूखा नहीं रखना चाहिए। मौसमी, ताजे फल और सब्जियों, जूस, नींबू पानी, नारियल पानी, दही, छाछ, अंकुरित अनाज, साबुत अनाज का सेवन करें। ढेर सारा पानी पिएं।

डिटॉक्स करते समय : 
१. मशीन प्रयोग करते समय मोबाइल ऑफ रखे..तथा कोई भी विधुतीय उपकरण साथ न रखे.. 
२. मशीन प्रयोग करते समय ३० मिनट तक तब में पैर न हिलाये.. 
३. भर पेट खाना खाने के १ घंटे पश्चात ही मशीन प्रयोग करे... 

नोट : ५० साल के ऊपर के ब्यक्ति के लिए... ३ या ४ दिन के अंतराल पर डिटॉक्स कराये... पानी अधिक से अधिक पिए.. ग्रीन टी के मिश्रण के साथ... अगर घुटने में दर्द महसूस हो तो बी सी यम मशीन पर पैर का और कमर के प्रेसर का मसाज करे.. डिटॉक्स करते समय कुछ लक्छण : 

१. शरीर में कही दर्द है.. तो दर्द बड़ सकता है.. या जलन हो सकता है... 
२. बुखार आना, सर दुखना, या सर्दी लगने जैसी कोई तकलीफ 
३. किसी समय ज्यादा पैखाना, या ज्यादा पिसाब लग सकता है.. 
४. किसी को थकान, अधिक नींद , या अधिक प्यास भी लगता है.. बस अधिक से अधिक ग्रीन टी और नीबू पानी का सेवन करे...

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