Description : Vijay Sar Cup
How to Use Herbal Wood Tumbler :
Wash the tumbler thoroughly.
Pour drinking water (Approx. 100 ml) in MadhuvijayTM Herbal Wooden Tumbler at night. After 8-10 hours the water will turn brown in color. Consume this colored water 10-15 minutes before breakfast.
Once again pour drinking water in MadhuvijayTM tumbler and consume it 10-15 minutes before dinner.
Repeat the use of MadhuvijayTM Herbal Wooden Tumbler continuously for 30 days and when the colour of water stops
changing, scratch the inside of the glass carefully without hurting yourself and use again for 7-15 days. Use MadhuvijayTM Herbal Wooden Tumbler maximum for 45 days. Use a New Tumbler after every 45 days. Along with Madhuvijay Herbal Wooden Tumbler, we supply 12 pieces of Indian Kino herbal wood. Carry this convenience pack along with you while traveling , so that you do not miss the herbal infusion. Put 1 (one) piece of wood in the glass full of drinking water(100 ml) at night. Consume this herbal water next morning 10-15 minutes before breakfast. Again fill the glass with drinking water & consume this herbal water 10-15 minutes before dinner. One piece of herbal wood can be used for 2 (two) days. i.e. 12 pieces of herbal wood can be used for 24 days
शनिवार, 30 अगस्त 2014
मंगलवार, 26 अगस्त 2014
शरीर को बलवान और शक्तिशाली बनाये
शरीर को बलवान और शक्तिशाली बनाये ----------
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1. तिल : लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में काले तिल और ढाक के बीजों को पीसकर और इनको छानकर इसमें 200 ग्राम शक्कर मिलाकर इस मिश्रण को रोजाना 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पानी के साथ लेने से शरीर में मजबूती आती है।
लगभग 20 ग्राम की मात्रा में काले तिल और इतनी ही मात्रा में गोखरू को मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बकरी के दूध में खीर की तरह बनाकर खाने से शरीर में भरपूर ताकत का विकास होता है। इसका सेवन लगातार 15 या 20 दिनों तक करने से शरीर की कमजोरी खत्म हो जाती है।
2. छुहारा : लगभग 10 ग्राम छुहारे लेकर पीस लें। रोजाना कम से कम 2 ग्राम की मात्रा में इस छुहारे के चूर्ण को 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ सोते समय लेने से शरीर मजबूत होता है। इसका सेवन केवल सर्दियों के दिनों में करना चाहिए।
4 या 5 छुहारों की गुठलियों को निकालकर इसमें लगभग लगभग आधा ग्राम गुग्गल इनके अन्दर भर दें और इन छुआरों को दूध में पकायें। सुबह और शाम को रोजाना एक छुहारा दूध के साथ खाने से वात की बीमारी दूर हो जाती है और शरीर शक्तिशाली बनता है।
लगभग 500 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर उसमें 2 छुआरे डाल दें। फिर दूध को आधा रह जाने तक गर्म करें। अब इस दूध में 2 चम्मच मिश्री या खांड़ लेकर मिलाकर पीयें और छुहारों को खा जायें। इसके खाने से शरीर में मांस बढ़ता है, शरीर की ताकत बढ़ती है और मनुष्य का वीर्य बल भी बढ़ता है। छुआरा खून बढ़ाता है, और शरीर के विभिन्न भागों में ताकत पहुंचाता है। इसका प्रयोग केवल सर्दी के दिनों में ही करना चाहिए। इसका सेवन करने के 2 घंटे तक पानी नहीं पीना चाहिए। एक बार में 4 से ज्यादा छुहारों का सेवन नहीं करना चाहिए।
किसी मिट्टी या कांच के बर्तन में पानी लेकर इसमें 2 छुहारे शाम को भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इन छुहारों की गुठली को निकालकर इन्हें लगभग 500 मिलीलीटर दूध में गर्म करें, और 250 मिलीलीटर दूध रह जाने तक गर्म करें। अब बचे हुए दूध को पीने से शरीर की कमजोरी खत्म हो जाती है और शरीर को भरपूर ताकत मिलती है।
जो बच्चे बिस्तर पर पेशाब कर देते है उनको छुहारे का दूध पिलाने से वह बिस्तर पर पेशाब करना बन्द कर देते हैं।
3. बेर : लगभग 15 ग्राम की मात्रा में बेर के छिलकों को छाया में सुखाकर, पीपल, काली मिर्च, सौंठ और त्रिफला के साथ पीसकर इनका चूर्ण बना लें, और इसमें लगभग 75 ग्राम की मात्रा में गुग्गल को पीसकर मिला लें। इस मिश्रण को 10 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय पानी के साथ लेने से शरीर को ताकत मिलती है और शरीर से सभी रोग दूर रहते हैं।
4. हरड़ :लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में हरड़ का छिलका और पिसा हुआ आंवला को लेकर इसमें 200 ग्राम की मात्रा में खांड़ मिलाकर इस चूर्ण को सुबह के समय लगभग 10 ग्राम की मात्रा में 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ लेने से शरीर में मजबूती आती है।
भोजन के दौरान सुबह-शाम आधा चम्मच की मात्रा में हरड़ का चूर्ण लेते रहने से बुद्धि और शारीरिक बल में वृद्धि होती है।
5. तालमखाना : लगभग 25-25 ग्राम की मात्रा में तालमखाना, असगंध, बीजबन्द, गंगेरन, बरियार, कौंच के बीजों की गिरी, काली मूसली, सफेद मूसली और गोखरू को पीसकर तथा छानकर इस चूर्ण को लगभग 100 ग्राम देसी घी में भूनकर इसमें लगभग 100 ग्राम खांड़ या शक्कर को मिलाकर रख लें। अब इस तैयार मिश्रण में से एक चम्मच चूर्ण रोजाना सुबह के समय दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इस मिश्रण का प्रयोग सर्दी के दिनों में करना चाहिए।
6. जायफल : लगभग आधा ग्राम पिसा हुआ जायफल और लगभग इतनी ही बंगभस्म को शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम लेने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
जायफल, मिश्री और पीपल के चूर्ण को एकसाथ मिलाकर इसमें नाग भस्म मिलाकर सेवन करने से शरीर में ताकत पैदा होती है।
7. चिलगोजा :कमजोरी आने पर चिलगोजा की मिंगी और मुनक्का को लगभग 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रख दें। इसके बाद इसमें शक्कर मिलाकर खाने से शरीर की कमजोरी के दूर होने के साथ ही साथ शरीर में ताकत आ जाती है।
चिलगोजा खाने से व्यक्ति के शरीर में चुस्ती और फुर्ती के साथ ही साथ अधिक ताकत भी आती है।
8. नागरबेल : नागरबेल के पत्तों का शर्बत बनाकर पीने से शरीर को मजबूती मिलती है और ताकत में वृद्धि होती है।
9. बादाम : शरीर की शक्ति को बढ़ाने के लिए बादाम की गिरी और भुने हुए चनों को छीलकर रोजाना खाना चाहिए।
लगभग 4 बादाम की गिरियों को पीसकर इसमें 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद और मिश्री को मिलाकर चाटने से मनुष्य के शरीर में ताकत बढ़ जाती है।
लगभग 7 बादाम की गिरी, 7 दाने कालीमिर्च, लगभग 3 ग्राम की मात्रा में सौंफ (गर्मियों के मौसम में सौंफ के स्थान पर सूखा हुआ साबुत धनिया) और 2 छोटी इलायची को लेकर शाम को सोते समय कांच या चीनी के बर्तन में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर व्यायाम करने के बाद बादाम और इलायची के छिलके उतार लें और कालीमिर्च और सौंफ के साथ इनको पीस लें। इसके बाद इसको 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर कपड़े से छान लें। इसके बाद इसमें 2 चम्मच शहद या मिश्री मिलाकर धीरे-धीरे पीने से याददाश्त मजबूत होती है और आंखों की रोशनी तेज होने के साथ ही साथ शरीर की शक्ति बढ़ती है।
बादाम की गिरियों से निकाला गया दूध बच्चों के लिए बहुत लाभकारी होता है।
लगभग 10 बादाम की गिरियों को शाम को पानी में भिगोकर रख दें। इसके बाद सुबह इनका छिलका उतार कर बारीक पीस लें। अब इन पीसे हुए बादामों में मक्खन को मिलाकर खाने से तुतलाना और हकलाना दूर हो जाता है। इसके अलावा कमजोर शरीर भी मजबूत बनता है। इसका सेवन कुछ महीने तक करना चाहिए।
शाम को सोते समय लगभग 10 बादाम की गिरियों को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इनका छिलका उतारकर बारीक पीस लें। अब इन पीसे हुए बादामों को कढ़ाई में घी डालकर हल्की आग पर भूने। इसमें लाल होने से पहले ही लगभग 150 ग्राम की मात्रा में दूध डालें। इस दूध को हल्का गर्म करके पीने से शरीर शक्तिशाली बनता है। इसके अलावा शरीर का वीर्य बल भी बढ़ता है। इसका सेवन रोजाना सुबह करना चाहिए।
10. मूसली :काली मूसली के चूर्ण में मिश्री को मिलाकर खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है।
लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सफेद मूसली के चूर्ण को 250 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर इसको पकायें और गाढ़ा होने तक पकने दें। अब इसको निकालकर 1 प्लेट पर रख दें और सुबह तक वह खीर की तरह उस प्लेट पर जम जायेगा। अब इसमें शक्कर मिलाकर इसको खायें। इसका सेवन 40 दिनों तक करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में ताकत बढ़ती है। इसका सेवन करने के दिनों में गर्म और खट्टे पदार्थों से परहेज करना चाहिए।
11. गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी के फूलों के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से शरीर में ताकत आती है।
गोरखमुण्डी के पूरे पौधे को छाया में सुखाकर पीस लें। इसका हलवा बनाकर सेवन करने से आदमी की जवानी हमेशा के लिए बनी रहती है।
गोरखमुण्डी के बीजों को पीसकर चूर्ण की तरह बना लें। इसमें इतनी ही मात्रा में चीनी को मिलाकर चुटकी भर खाने से शरीर में ताकत बढ़ती है।
शरीर में शक्ति बढ़ाने के लिए गोरखमुण्डी की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ 2 साल तक लेना चाहिए। इसके अलावा इसके सेवन से बाल भी कभी सफेद नहीं होते हैं।
12. लौकी (घिया) : घिया या लौकी के पत्तों का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से उसके शरीर की कमजोरी दूर होकर शरीर में ताकत बढ़ती है।
25. खिरैंटी : शरीर में कमजोरी महसूस होने पर खिरैंटी के बीजों को पकाकर खाने से शरीर में ताकत बढ़ जाती है।
खिरैंटी की जड़ की छाल को पीसकर दूध में उबालें। इसके बाद इसमें घी को मिलाकर पीने से शरीर में शक्ति बढ़ती है।
13. पोहकरमूल : पोहकरमूल का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर खाने से शरीर शक्तिशाली बन जाता है।
14. चम्पा : शरीर की शक्ति को बढ़ाने के लिए चम्पा के फूलों का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर खाना चाहिए।
15. सोनामक्खी :सोनामक्खी को गुड़ में मिलाकर खाने से शरीर की कमजोरी दूर होकर शरीर शक्तिशाली बन जाता है।
सोनामक्खी को गाय के घी या भेड़ के दूध में मिलाकर सेवन करने से शरीर की ताकत बढ़ती है।
16. गन्ना : गन्ने के रस को रोजाना पीने से शरीर में खून बढ़ता है और शरीर में ताकत आती है
17. आशकन्द : आशकन्द के चूर्ण को घी में मिलाकर खाने से घुटनों में होने वाला दर्द और घुटनों की कमजोरी दूर हो जाती है। इसका 40 दिन तक लगातार प्रयोग करें।
18. शतावर: शतावरी को पकाकर खाने या शतावरी के चूर्ण की खीर बनाकर सेवन करने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
लगभग 200 ग्राम की मात्रा में शतावरी और लगभग 200 ग्राम की ही मात्रा में ही असगंध को एकसाथ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में लेकर 500 मिलीलीटर दूध में डालकर इतनी देर तक उबालें की दूध आधी मात्रा में रह जाये। अब इस बचे हुए दूध में लगभग 20 ग्राम की मात्रा में मिश्री डालकर पी जाना चाहिए। इसका सेवन 40 दिनों तक लगातार करने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
19. इमली : इमली के बीजों को लगातार 3 दिन तक पानी में भिगोकर रख दें। इसके बाद इन बीजों को पानी में से निकालकर इनका छिलका उतारें और इसमें इमली के बीजों के जितना ही गुड़ मिलायें। अब इन दोनों को मिलाकर लगभग 6-6 ग्राम की गोलियां बना लें। सुबह और शाम इस 1-1 गोली का सेवन करने से शरीर शक्तिशाली बनता है और सभी प्रकार के रोग दूर रहते हैं।
20. सिंघाड़ा : शरीर में शक्ति बढ़ाने के लिए सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाकर खाना चाहिए।
21. ढाक : ढाक के फूलों की कलियों का गुलकन्द बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से शरीर की ताकत बढ़ती है।
लगभग 50 ग्राम की मात्रा में ढाक के बीज, लगभग 25 ग्राम की मात्रा में वायबिड़ंग और लगभग 200 ग्राम की मात्रा में गुठली वाले आंवले को एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद रोजाना इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ लेने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
ढाक की जड़ या छाल का चूर्ण बनाकर दूध के साथ सेवन करने से संभोग करने की शक्ति में वृद्धि होती है।
22. गुड़हल : गुड़हल के सूखे पत्तों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और इतनी ही मात्रा में इस चूर्ण में शक्कर मिलाकर रख दें। रोजाना लगभग 10 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण का सेवन करने से मनुष्य की शक्ति बढ़ जाती है। ऐसा लगभग 40 दिनों तक लगातार करना चाहिए।
23. मुलहठी : रोजाना 6 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को 30 ग्राम दूध में घोलकर पीने से शरीर में ताकत आती है।
24. हल्दी : लगभग 500 ग्राम की मात्रा में हल्दी की गांठें और 1 किलो बुझा हुआ चूना लेकर इसको एक मिट्टी के बर्तन में डालकर इसमें ऊपर से 2 किलो पानी डालें। पानी डालते ही चूना पकने लगता है, और ठंड़ा होने पर बर्तन को ढककर रख दें। इसके बाद 2 महीने बाद हल्दी की गांठों को निकालकर पीसकर चूर्ण बना लें। हल्दी की गांठों के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर 10 ग्राम शहद के साथ मिलाकर लगातार 4 महीने तक रोजाना खाने से शरीर का खून साफ हो जाता है और शरीर में भरपूर ताकत आती है।
25. गूलर : लगभग 100 ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम मिश्री को मिलाकर रख दें। इस चूर्ण को लगभग 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती
है।
26. भांगरा : 100 ग्राम की मात्रा में भांगरा, 200 ग्राम की मात्रा में काले तिल और 200 ग्राम की मात्रा में आंवलों को एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद इस तैयार चूर्ण में 50 ग्राम मिश्री मिला लें और इसमें घी मिलाकर बर्तन में रख दें। इस मिश्रण को 10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम को गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है और इसके अलावा बाल काले रहते हैं।
27. पीपल : शाम को सोते समय छोटी पीपल को पानी में भिगोकर रख दें,
और सुबह इसको पीसकर इसमें शहद मिलाकर चाटें और ऊपर से दूध पी लें। इसको लगातार 40 दिनों तक खाना चाहिए। इससे शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
28. खजूर :7 या 8 पिण्डखजूरों को 500 मिलीलीटर दूध में डालकर हल्की आंच पर पका लें और लगभग 400 मिलीलीटर की मात्रा में दूध रह जाने पर दूध को आंच पर से उतार लें। अब इसमें से खजूर निकालकर खाकर ऊपर से इसी दूध को पीने से शरीर में भरपूर ताकत और मजबूती आती है।
5 या 7 खजूर लेकर इनकी गुठली को निकालकर इन खजूरों को पानी से धो लें। अब लगभग 300 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर इसमें गुठली निकले हुए खजूरों को डाल दें और दूध को हल्की आग पर 8 या 10 मिनट तक जब तक कि खजूर न गल जायें पकने दें। अब इस दूध में से खजूरों को निकाल कर चबा-चबाकर खा लें। इसके ऊपर से दूध पीने से शरीर को जबरदस्त ताकत और मजबूती मिलती है। इसके अलावा वजन बढ़ता है, कब्ज और क्षय रोग दूर होते हैं, शरीर में खून बनता है, खांसी, दमा, पेट और छाती से सम्बंधित सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक सुबह और शाम को करना चाहिए।
29. मिश्री : लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सालम मिश्री, शतावर और सफेदी मूसली को लेकर बारीक पीस लें और छान लें। अब इस चूर्ण को 400 मिलीलीटर दूध में डालकर पकायें और 300 मिलीलीटर दूध रह जाने पर इसको उतारकर इस दूध में शक्कर मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आदमी के शरीर में से आलस्य दूर हो जाता है और उसको पर्याप्त मात्रा में ताकत भी मिलती है। इसका सेवन लगातार 20 दिनों तक करना चाहिए।
30. मालकांगनी : लगभग 250 ग्राम मालकांगनी को गाय के घी में भूनकर, इसमें 250 ग्राम शक्कर मिलाकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह और शाम को खाने से मनुष्य के शरीर में ताकत का विकास होता है। इसका सेवन लगभग 40 दिनों तक करना चाहिए।
31. घी :लगभग 20 ग्राम घी को 30 ग्राम शहद के साथ मिलाकर भोजन करने के बाद खाने से मनुष्य की याददाश्त के साथ ही साथ उसके शरीर की ताकत भी बढ़ती है।
लगभग 250 ग्राम की मात्रा में शुद्ध देसी घी में बनी जलेबियों को लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ रोजाना सुबह के समय लेने से मनुष्य की लम्बाई बढ़ती है। इसका सेवन लगातार 2 या 3 महीने तक करना चाहिए।
32. दालचीनी : दालचीनी को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। शाम को इसके लगभग 2 ग्राम चूर्ण को 250 मिलीलीटर दूध में डालकर एक चम्मच शहद को मिलाकर पीने से शरीर की ताकत के साथ-साथ मनुष्य के वीर्य यानी धातु में भी वृद्धि होती है।
33. चना :लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इस दाल में किशमिश और मिश्री मिलाकर अच्छी तरह से चबा कर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है और मनुष्य का वीर्य और बल भी बढ़ता है।
रात को सोते समय थोड़े से देसी चने लेकर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर गुड़ के साथ इन चनों को रोजाना खूब-खूब चबाकर खाने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है। चनों की मात्रा शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार बढ़ानी चाहिए। इन चनों को दो या तीन महीने तक खाना चाहिए।
34. विदारीकन्द : लगभग 6 ग्राम की मात्रा में विदारीकन्द के चूर्ण को लगभग 10 ग्राम गाय के घी में और लगभग 20 ग्राम शहद में मिलाकर गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए।
35. आंवला :लगभग 10 ग्राम की मात्रा में हरे आंवला को लगभग इतनी ही मात्रा में शहद में मिलाकर खाने से मनुष्य के वीर्य-बल में वृद्धि होती है। आंवलों के मौसम में इसका सेवन रोजाना सुबह के समय लगभग 1 से 2 महीने तक करना चाहिए।
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1. तिल : लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में काले तिल और ढाक के बीजों को पीसकर और इनको छानकर इसमें 200 ग्राम शक्कर मिलाकर इस मिश्रण को रोजाना 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पानी के साथ लेने से शरीर में मजबूती आती है।
लगभग 20 ग्राम की मात्रा में काले तिल और इतनी ही मात्रा में गोखरू को मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बकरी के दूध में खीर की तरह बनाकर खाने से शरीर में भरपूर ताकत का विकास होता है। इसका सेवन लगातार 15 या 20 दिनों तक करने से शरीर की कमजोरी खत्म हो जाती है।
2. छुहारा : लगभग 10 ग्राम छुहारे लेकर पीस लें। रोजाना कम से कम 2 ग्राम की मात्रा में इस छुहारे के चूर्ण को 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ सोते समय लेने से शरीर मजबूत होता है। इसका सेवन केवल सर्दियों के दिनों में करना चाहिए।
4 या 5 छुहारों की गुठलियों को निकालकर इसमें लगभग लगभग आधा ग्राम गुग्गल इनके अन्दर भर दें और इन छुआरों को दूध में पकायें। सुबह और शाम को रोजाना एक छुहारा दूध के साथ खाने से वात की बीमारी दूर हो जाती है और शरीर शक्तिशाली बनता है।
लगभग 500 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर उसमें 2 छुआरे डाल दें। फिर दूध को आधा रह जाने तक गर्म करें। अब इस दूध में 2 चम्मच मिश्री या खांड़ लेकर मिलाकर पीयें और छुहारों को खा जायें। इसके खाने से शरीर में मांस बढ़ता है, शरीर की ताकत बढ़ती है और मनुष्य का वीर्य बल भी बढ़ता है। छुआरा खून बढ़ाता है, और शरीर के विभिन्न भागों में ताकत पहुंचाता है। इसका प्रयोग केवल सर्दी के दिनों में ही करना चाहिए। इसका सेवन करने के 2 घंटे तक पानी नहीं पीना चाहिए। एक बार में 4 से ज्यादा छुहारों का सेवन नहीं करना चाहिए।
किसी मिट्टी या कांच के बर्तन में पानी लेकर इसमें 2 छुहारे शाम को भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इन छुहारों की गुठली को निकालकर इन्हें लगभग 500 मिलीलीटर दूध में गर्म करें, और 250 मिलीलीटर दूध रह जाने तक गर्म करें। अब बचे हुए दूध को पीने से शरीर की कमजोरी खत्म हो जाती है और शरीर को भरपूर ताकत मिलती है।
जो बच्चे बिस्तर पर पेशाब कर देते है उनको छुहारे का दूध पिलाने से वह बिस्तर पर पेशाब करना बन्द कर देते हैं।
3. बेर : लगभग 15 ग्राम की मात्रा में बेर के छिलकों को छाया में सुखाकर, पीपल, काली मिर्च, सौंठ और त्रिफला के साथ पीसकर इनका चूर्ण बना लें, और इसमें लगभग 75 ग्राम की मात्रा में गुग्गल को पीसकर मिला लें। इस मिश्रण को 10 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय पानी के साथ लेने से शरीर को ताकत मिलती है और शरीर से सभी रोग दूर रहते हैं।
4. हरड़ :लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में हरड़ का छिलका और पिसा हुआ आंवला को लेकर इसमें 200 ग्राम की मात्रा में खांड़ मिलाकर इस चूर्ण को सुबह के समय लगभग 10 ग्राम की मात्रा में 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ लेने से शरीर में मजबूती आती है।
भोजन के दौरान सुबह-शाम आधा चम्मच की मात्रा में हरड़ का चूर्ण लेते रहने से बुद्धि और शारीरिक बल में वृद्धि होती है।
5. तालमखाना : लगभग 25-25 ग्राम की मात्रा में तालमखाना, असगंध, बीजबन्द, गंगेरन, बरियार, कौंच के बीजों की गिरी, काली मूसली, सफेद मूसली और गोखरू को पीसकर तथा छानकर इस चूर्ण को लगभग 100 ग्राम देसी घी में भूनकर इसमें लगभग 100 ग्राम खांड़ या शक्कर को मिलाकर रख लें। अब इस तैयार मिश्रण में से एक चम्मच चूर्ण रोजाना सुबह के समय दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इस मिश्रण का प्रयोग सर्दी के दिनों में करना चाहिए।
6. जायफल : लगभग आधा ग्राम पिसा हुआ जायफल और लगभग इतनी ही बंगभस्म को शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम लेने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
जायफल, मिश्री और पीपल के चूर्ण को एकसाथ मिलाकर इसमें नाग भस्म मिलाकर सेवन करने से शरीर में ताकत पैदा होती है।
7. चिलगोजा :कमजोरी आने पर चिलगोजा की मिंगी और मुनक्का को लगभग 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रख दें। इसके बाद इसमें शक्कर मिलाकर खाने से शरीर की कमजोरी के दूर होने के साथ ही साथ शरीर में ताकत आ जाती है।
चिलगोजा खाने से व्यक्ति के शरीर में चुस्ती और फुर्ती के साथ ही साथ अधिक ताकत भी आती है।
8. नागरबेल : नागरबेल के पत्तों का शर्बत बनाकर पीने से शरीर को मजबूती मिलती है और ताकत में वृद्धि होती है।
9. बादाम : शरीर की शक्ति को बढ़ाने के लिए बादाम की गिरी और भुने हुए चनों को छीलकर रोजाना खाना चाहिए।
लगभग 4 बादाम की गिरियों को पीसकर इसमें 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद और मिश्री को मिलाकर चाटने से मनुष्य के शरीर में ताकत बढ़ जाती है।
लगभग 7 बादाम की गिरी, 7 दाने कालीमिर्च, लगभग 3 ग्राम की मात्रा में सौंफ (गर्मियों के मौसम में सौंफ के स्थान पर सूखा हुआ साबुत धनिया) और 2 छोटी इलायची को लेकर शाम को सोते समय कांच या चीनी के बर्तन में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर व्यायाम करने के बाद बादाम और इलायची के छिलके उतार लें और कालीमिर्च और सौंफ के साथ इनको पीस लें। इसके बाद इसको 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर कपड़े से छान लें। इसके बाद इसमें 2 चम्मच शहद या मिश्री मिलाकर धीरे-धीरे पीने से याददाश्त मजबूत होती है और आंखों की रोशनी तेज होने के साथ ही साथ शरीर की शक्ति बढ़ती है।
बादाम की गिरियों से निकाला गया दूध बच्चों के लिए बहुत लाभकारी होता है।
लगभग 10 बादाम की गिरियों को शाम को पानी में भिगोकर रख दें। इसके बाद सुबह इनका छिलका उतार कर बारीक पीस लें। अब इन पीसे हुए बादामों में मक्खन को मिलाकर खाने से तुतलाना और हकलाना दूर हो जाता है। इसके अलावा कमजोर शरीर भी मजबूत बनता है। इसका सेवन कुछ महीने तक करना चाहिए।
शाम को सोते समय लगभग 10 बादाम की गिरियों को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इनका छिलका उतारकर बारीक पीस लें। अब इन पीसे हुए बादामों को कढ़ाई में घी डालकर हल्की आग पर भूने। इसमें लाल होने से पहले ही लगभग 150 ग्राम की मात्रा में दूध डालें। इस दूध को हल्का गर्म करके पीने से शरीर शक्तिशाली बनता है। इसके अलावा शरीर का वीर्य बल भी बढ़ता है। इसका सेवन रोजाना सुबह करना चाहिए।
10. मूसली :काली मूसली के चूर्ण में मिश्री को मिलाकर खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है।
लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सफेद मूसली के चूर्ण को 250 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर इसको पकायें और गाढ़ा होने तक पकने दें। अब इसको निकालकर 1 प्लेट पर रख दें और सुबह तक वह खीर की तरह उस प्लेट पर जम जायेगा। अब इसमें शक्कर मिलाकर इसको खायें। इसका सेवन 40 दिनों तक करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में ताकत बढ़ती है। इसका सेवन करने के दिनों में गर्म और खट्टे पदार्थों से परहेज करना चाहिए।
11. गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी के फूलों के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से शरीर में ताकत आती है।
गोरखमुण्डी के पूरे पौधे को छाया में सुखाकर पीस लें। इसका हलवा बनाकर सेवन करने से आदमी की जवानी हमेशा के लिए बनी रहती है।
गोरखमुण्डी के बीजों को पीसकर चूर्ण की तरह बना लें। इसमें इतनी ही मात्रा में चीनी को मिलाकर चुटकी भर खाने से शरीर में ताकत बढ़ती है।
शरीर में शक्ति बढ़ाने के लिए गोरखमुण्डी की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ 2 साल तक लेना चाहिए। इसके अलावा इसके सेवन से बाल भी कभी सफेद नहीं होते हैं।
12. लौकी (घिया) : घिया या लौकी के पत्तों का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से उसके शरीर की कमजोरी दूर होकर शरीर में ताकत बढ़ती है।
25. खिरैंटी : शरीर में कमजोरी महसूस होने पर खिरैंटी के बीजों को पकाकर खाने से शरीर में ताकत बढ़ जाती है।
खिरैंटी की जड़ की छाल को पीसकर दूध में उबालें। इसके बाद इसमें घी को मिलाकर पीने से शरीर में शक्ति बढ़ती है।
13. पोहकरमूल : पोहकरमूल का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर खाने से शरीर शक्तिशाली बन जाता है।
14. चम्पा : शरीर की शक्ति को बढ़ाने के लिए चम्पा के फूलों का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर खाना चाहिए।
15. सोनामक्खी :सोनामक्खी को गुड़ में मिलाकर खाने से शरीर की कमजोरी दूर होकर शरीर शक्तिशाली बन जाता है।
सोनामक्खी को गाय के घी या भेड़ के दूध में मिलाकर सेवन करने से शरीर की ताकत बढ़ती है।
16. गन्ना : गन्ने के रस को रोजाना पीने से शरीर में खून बढ़ता है और शरीर में ताकत आती है
17. आशकन्द : आशकन्द के चूर्ण को घी में मिलाकर खाने से घुटनों में होने वाला दर्द और घुटनों की कमजोरी दूर हो जाती है। इसका 40 दिन तक लगातार प्रयोग करें।
18. शतावर: शतावरी को पकाकर खाने या शतावरी के चूर्ण की खीर बनाकर सेवन करने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
लगभग 200 ग्राम की मात्रा में शतावरी और लगभग 200 ग्राम की ही मात्रा में ही असगंध को एकसाथ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में लेकर 500 मिलीलीटर दूध में डालकर इतनी देर तक उबालें की दूध आधी मात्रा में रह जाये। अब इस बचे हुए दूध में लगभग 20 ग्राम की मात्रा में मिश्री डालकर पी जाना चाहिए। इसका सेवन 40 दिनों तक लगातार करने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
19. इमली : इमली के बीजों को लगातार 3 दिन तक पानी में भिगोकर रख दें। इसके बाद इन बीजों को पानी में से निकालकर इनका छिलका उतारें और इसमें इमली के बीजों के जितना ही गुड़ मिलायें। अब इन दोनों को मिलाकर लगभग 6-6 ग्राम की गोलियां बना लें। सुबह और शाम इस 1-1 गोली का सेवन करने से शरीर शक्तिशाली बनता है और सभी प्रकार के रोग दूर रहते हैं।
20. सिंघाड़ा : शरीर में शक्ति बढ़ाने के लिए सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाकर खाना चाहिए।
21. ढाक : ढाक के फूलों की कलियों का गुलकन्द बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से शरीर की ताकत बढ़ती है।
लगभग 50 ग्राम की मात्रा में ढाक के बीज, लगभग 25 ग्राम की मात्रा में वायबिड़ंग और लगभग 200 ग्राम की मात्रा में गुठली वाले आंवले को एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद रोजाना इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ लेने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
ढाक की जड़ या छाल का चूर्ण बनाकर दूध के साथ सेवन करने से संभोग करने की शक्ति में वृद्धि होती है।
22. गुड़हल : गुड़हल के सूखे पत्तों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और इतनी ही मात्रा में इस चूर्ण में शक्कर मिलाकर रख दें। रोजाना लगभग 10 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण का सेवन करने से मनुष्य की शक्ति बढ़ जाती है। ऐसा लगभग 40 दिनों तक लगातार करना चाहिए।
23. मुलहठी : रोजाना 6 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को 30 ग्राम दूध में घोलकर पीने से शरीर में ताकत आती है।
24. हल्दी : लगभग 500 ग्राम की मात्रा में हल्दी की गांठें और 1 किलो बुझा हुआ चूना लेकर इसको एक मिट्टी के बर्तन में डालकर इसमें ऊपर से 2 किलो पानी डालें। पानी डालते ही चूना पकने लगता है, और ठंड़ा होने पर बर्तन को ढककर रख दें। इसके बाद 2 महीने बाद हल्दी की गांठों को निकालकर पीसकर चूर्ण बना लें। हल्दी की गांठों के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर 10 ग्राम शहद के साथ मिलाकर लगातार 4 महीने तक रोजाना खाने से शरीर का खून साफ हो जाता है और शरीर में भरपूर ताकत आती है।
25. गूलर : लगभग 100 ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम मिश्री को मिलाकर रख दें। इस चूर्ण को लगभग 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती
है।
26. भांगरा : 100 ग्राम की मात्रा में भांगरा, 200 ग्राम की मात्रा में काले तिल और 200 ग्राम की मात्रा में आंवलों को एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद इस तैयार चूर्ण में 50 ग्राम मिश्री मिला लें और इसमें घी मिलाकर बर्तन में रख दें। इस मिश्रण को 10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम को गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है और इसके अलावा बाल काले रहते हैं।
27. पीपल : शाम को सोते समय छोटी पीपल को पानी में भिगोकर रख दें,
और सुबह इसको पीसकर इसमें शहद मिलाकर चाटें और ऊपर से दूध पी लें। इसको लगातार 40 दिनों तक खाना चाहिए। इससे शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
28. खजूर :7 या 8 पिण्डखजूरों को 500 मिलीलीटर दूध में डालकर हल्की आंच पर पका लें और लगभग 400 मिलीलीटर की मात्रा में दूध रह जाने पर दूध को आंच पर से उतार लें। अब इसमें से खजूर निकालकर खाकर ऊपर से इसी दूध को पीने से शरीर में भरपूर ताकत और मजबूती आती है।
5 या 7 खजूर लेकर इनकी गुठली को निकालकर इन खजूरों को पानी से धो लें। अब लगभग 300 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर इसमें गुठली निकले हुए खजूरों को डाल दें और दूध को हल्की आग पर 8 या 10 मिनट तक जब तक कि खजूर न गल जायें पकने दें। अब इस दूध में से खजूरों को निकाल कर चबा-चबाकर खा लें। इसके ऊपर से दूध पीने से शरीर को जबरदस्त ताकत और मजबूती मिलती है। इसके अलावा वजन बढ़ता है, कब्ज और क्षय रोग दूर होते हैं, शरीर में खून बनता है, खांसी, दमा, पेट और छाती से सम्बंधित सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक सुबह और शाम को करना चाहिए।
29. मिश्री : लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सालम मिश्री, शतावर और सफेदी मूसली को लेकर बारीक पीस लें और छान लें। अब इस चूर्ण को 400 मिलीलीटर दूध में डालकर पकायें और 300 मिलीलीटर दूध रह जाने पर इसको उतारकर इस दूध में शक्कर मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आदमी के शरीर में से आलस्य दूर हो जाता है और उसको पर्याप्त मात्रा में ताकत भी मिलती है। इसका सेवन लगातार 20 दिनों तक करना चाहिए।
30. मालकांगनी : लगभग 250 ग्राम मालकांगनी को गाय के घी में भूनकर, इसमें 250 ग्राम शक्कर मिलाकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह और शाम को खाने से मनुष्य के शरीर में ताकत का विकास होता है। इसका सेवन लगभग 40 दिनों तक करना चाहिए।
31. घी :लगभग 20 ग्राम घी को 30 ग्राम शहद के साथ मिलाकर भोजन करने के बाद खाने से मनुष्य की याददाश्त के साथ ही साथ उसके शरीर की ताकत भी बढ़ती है।
लगभग 250 ग्राम की मात्रा में शुद्ध देसी घी में बनी जलेबियों को लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ रोजाना सुबह के समय लेने से मनुष्य की लम्बाई बढ़ती है। इसका सेवन लगातार 2 या 3 महीने तक करना चाहिए।
32. दालचीनी : दालचीनी को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। शाम को इसके लगभग 2 ग्राम चूर्ण को 250 मिलीलीटर दूध में डालकर एक चम्मच शहद को मिलाकर पीने से शरीर की ताकत के साथ-साथ मनुष्य के वीर्य यानी धातु में भी वृद्धि होती है।
33. चना :लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इस दाल में किशमिश और मिश्री मिलाकर अच्छी तरह से चबा कर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है और मनुष्य का वीर्य और बल भी बढ़ता है।
रात को सोते समय थोड़े से देसी चने लेकर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर गुड़ के साथ इन चनों को रोजाना खूब-खूब चबाकर खाने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है। चनों की मात्रा शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार बढ़ानी चाहिए। इन चनों को दो या तीन महीने तक खाना चाहिए।
34. विदारीकन्द : लगभग 6 ग्राम की मात्रा में विदारीकन्द के चूर्ण को लगभग 10 ग्राम गाय के घी में और लगभग 20 ग्राम शहद में मिलाकर गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए।
35. आंवला :लगभग 10 ग्राम की मात्रा में हरे आंवला को लगभग इतनी ही मात्रा में शहद में मिलाकर खाने से मनुष्य के वीर्य-बल में वृद्धि होती है। आंवलों के मौसम में इसका सेवन रोजाना सुबह के समय लगभग 1 से 2 महीने तक करना चाहिए।
शुक्रवार, 22 अगस्त 2014
मधुमेह की अचूक दवा : अनुभव करके देखें
20 वर्षों से डायबिटीज झेल रहीं 65 वर्षीय महिला जो दिन में दो बार
इन्सुलिन लेने को विवश थीं, आज इस रोग से पूर्णत: मुक्त होकर सामान्य
सम्पूर्ण आहार ले रही हैं । जी हाँ मिठाई भी । डाक्टरों ने उस महिला को
इन्सुलिन और अन्य ब्लड सुगर कंट्रोल करने वाली दवाइयां भी बंद करने की सलाह
दी है और एक ख़ास बात ।
चूंकि केवल दो सप्ताह चलने वाला यह उपचार पूर्णत: प्राकृतिक तत्वों से घर में ही निर्मित होगा, अत: इसके कोई दुष्प्रभाव होने की रत्ती भर भी संभावना नहीं है ।
मुम्बई के किडनी विशेषज्ञ डा. टोनी अलमैदा ने दृढ़ता और धैर्य के साथ इस औषधि के व्यापक प्रयोग किये हैं तथा इसे आश्चर्यजनक माना है ।
अत: आग्रह हैकि इस उपयोगी उपचार को अधिक से अधिक प्रचारित करें, जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें ।देखिये कितना आसान है इस औषधि को घर में ही निर्मित करना ।
आवश्यक वस्तुएं -
1 – गेंहू का आटा 100 ग्राम
2 – वृक्ष से निकली गोंद 100 ग्राम
3 – जौ 100 ग्राम
4 – कलुन्जी 100 ग्राम
निर्माण विधि
उपरोक्त सभी सामग्री को 5 कप पानी में रखें । आग पर इन्हें 10 मिनिट उबालें ।
इसे स्वयं ठंडा होने दें । ठंडा होने पर इसे छानकर पानी को किसी बोतल या जग में सुरक्षित रख दें ।
> उपयोग विधि
सात दिन तक एक छोटा कप पानी प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेना ।
अगले सप्ताह एक दिन छोड़कर इसी प्रकार सुबह खाली पेट पानी लेना । मात्र दो सप्ताह के इस प्रयोग के बाद आश्चर्यजनक रूप से आप पायेंगे कि आप सामान्य हो चुके हैं और बिना किसी समस्या के अपना नियमित सामान्य भोजन ले सकते हैं ।
Vindhyachal Tiwari
चूंकि केवल दो सप्ताह चलने वाला यह उपचार पूर्णत: प्राकृतिक तत्वों से घर में ही निर्मित होगा, अत: इसके कोई दुष्प्रभाव होने की रत्ती भर भी संभावना नहीं है ।
मुम्बई के किडनी विशेषज्ञ डा. टोनी अलमैदा ने दृढ़ता और धैर्य के साथ इस औषधि के व्यापक प्रयोग किये हैं तथा इसे आश्चर्यजनक माना है ।
अत: आग्रह हैकि इस उपयोगी उपचार को अधिक से अधिक प्रचारित करें, जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें ।देखिये कितना आसान है इस औषधि को घर में ही निर्मित करना ।
आवश्यक वस्तुएं -
1 – गेंहू का आटा 100 ग्राम
2 – वृक्ष से निकली गोंद 100 ग्राम
3 – जौ 100 ग्राम
4 – कलुन्जी 100 ग्राम
निर्माण विधि
उपरोक्त सभी सामग्री को 5 कप पानी में रखें । आग पर इन्हें 10 मिनिट उबालें ।
इसे स्वयं ठंडा होने दें । ठंडा होने पर इसे छानकर पानी को किसी बोतल या जग में सुरक्षित रख दें ।
> उपयोग विधि
सात दिन तक एक छोटा कप पानी प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेना ।
अगले सप्ताह एक दिन छोड़कर इसी प्रकार सुबह खाली पेट पानी लेना । मात्र दो सप्ताह के इस प्रयोग के बाद आश्चर्यजनक रूप से आप पायेंगे कि आप सामान्य हो चुके हैं और बिना किसी समस्या के अपना नियमित सामान्य भोजन ले सकते हैं ।
Vindhyachal Tiwari
गुरुवार, 21 अगस्त 2014
नुसखे
अजीर्ण
------------
* 7-8 मेथी के दाने और एक चम्मच राई पानी के साथ निगल जाएं तो खट्टी डकारें आना बन्द हो जाती है। यदि डकारें बंद न हों तो एक बार और ले लें।
* 5 ग्राम अजवायन का तेल, 50 ग्राम गरम जल में डालक र पी लें, तत्पश्चात् सो जायें। कुछ समय बाद जगने पर पुन: एक खुराक ले लें। यदि बदहजमी अधिक हो तो मुंह में अँगुली डालकर रोगी को वमन करायें और फिर उक्त औषध लें।
अनिद्रा (नींद न आना )
--------------------------
* कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें गहरी नींद नहीं आती है जिसके कारण वे विशेष परेशान हैं, ऐसे में उन्हें क्षीर पाक बनाकर सेवन करना चाहिए। क्षीर पाक बनाने के लिए अश्वगंधा का बारीक चूर्ण 10 ग्राम, गाय या भैंस का दूध 250 मिलीलीटर, 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर किसी मिट्टी के पात्र में धीमी आंच पर उबालें, जब जल उड़ जाए तो छानकर इस दूध का सेवन करें।
* सोने से पहले शहद गर्म पानी में घोलकर या दूध में शहद घोलकर पीयेें, भरपूर नींद आयेगी।
नेत्र रोग
----------------
* बरगद की कोपलें तोडऩे से जो दूध निकलता है, वह दूध एक-एक बूँद आँखों में डालें इससे जाला, धुंधलका, लाली, जलन आदि रोग दूर होते हैं। गर्मियों में यह दूध सूर्य के निकलने से पहले ही आंखों में डालें तो विशेष लाभ होगा।
* आंख आने पर सौ ग्राम गुलाबजल में ढाई ग्राम फिटकरी डालें। इस लोशन की दो-दो बूँदें सुबह-शाम आँख में डालें तो आँखों की लाली, दर्द, चुभन, रडक़, ठीक होकर आँखों में ठण्डक पड़ जाती है।
Vindhyachal Tiwari
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* 7-8 मेथी के दाने और एक चम्मच राई पानी के साथ निगल जाएं तो खट्टी डकारें आना बन्द हो जाती है। यदि डकारें बंद न हों तो एक बार और ले लें।
* 5 ग्राम अजवायन का तेल, 50 ग्राम गरम जल में डालक र पी लें, तत्पश्चात् सो जायें। कुछ समय बाद जगने पर पुन: एक खुराक ले लें। यदि बदहजमी अधिक हो तो मुंह में अँगुली डालकर रोगी को वमन करायें और फिर उक्त औषध लें।
अनिद्रा (नींद न आना )
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* कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें गहरी नींद नहीं आती है जिसके कारण वे विशेष परेशान हैं, ऐसे में उन्हें क्षीर पाक बनाकर सेवन करना चाहिए। क्षीर पाक बनाने के लिए अश्वगंधा का बारीक चूर्ण 10 ग्राम, गाय या भैंस का दूध 250 मिलीलीटर, 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर किसी मिट्टी के पात्र में धीमी आंच पर उबालें, जब जल उड़ जाए तो छानकर इस दूध का सेवन करें।
* सोने से पहले शहद गर्म पानी में घोलकर या दूध में शहद घोलकर पीयेें, भरपूर नींद आयेगी।
नेत्र रोग
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* बरगद की कोपलें तोडऩे से जो दूध निकलता है, वह दूध एक-एक बूँद आँखों में डालें इससे जाला, धुंधलका, लाली, जलन आदि रोग दूर होते हैं। गर्मियों में यह दूध सूर्य के निकलने से पहले ही आंखों में डालें तो विशेष लाभ होगा।
* आंख आने पर सौ ग्राम गुलाबजल में ढाई ग्राम फिटकरी डालें। इस लोशन की दो-दो बूँदें सुबह-शाम आँख में डालें तो आँखों की लाली, दर्द, चुभन, रडक़, ठीक होकर आँखों में ठण्डक पड़ जाती है।
Vindhyachal Tiwari
बुधवार, 20 अगस्त 2014
बालों के लिए चिकित्सा :
1.
अमरबेल : 250 ग्राम अमरबेल को लगभग 3 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा
रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें। इससे बाल लंबे होते
हैं।
2. त्रिफला : त्रिफला के 2 से 6 ग्राम चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।
3. कलौंजी : 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें। इस उबले हुए पानी से बालों को धोएं। इससे बाल 1 महीने में ही काफी लंबे हो जाते हैं।
4. नीम : नीम और बेर के पत्तों को पानी के साथ पीसकर सिर पर लगा लें और इसके 2-3 घण्टों के बाद बालों को धो डालें। इससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे भी होते हैं।
5. लहसुन : लहसुन का रस निकालकर सिर में लगाने से बाल उग आते हैं।
6. सीताफल : सीताफल के बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं।
7. आम : 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाना चाहिए। इससे बाल लंबे और घुंघराले हो जाते हैं।
8. शिकाकाई : शिकाकाई और सूखे आंवले को 25-25 ग्राम लेकर थोड़ा-सा कूटकर इसके टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को 500 ग्राम पानी में रात को डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे सिर की मालिश करें। 10-20 मिनट बाद नहा लें। इस तरह शिकाकाई और आंवलों के पानी से सिर को धोकर और बालों के सूखने पर नारियल का तेल लगाने से बाल लंबे, मुलायम और चमकदार बन जाते हैं। गर्मियों में यह प्रयोग सही रहता है। इससे बाल सफेद नहीं होते अगर बाल सफेद हो भी जाते हैं तो वह काले हो जाते हैं।
9. मूली : आधी से 1 मूली रोजाना दोपहर में खाना-खाने के बाद, कालीमिर्च के साथ नमक लगाकर खाने से बालों का रंग साफ होता है और बाल लंबे भी हो जाते हैं। इसका प्रयोग 3-4 महीने तक लगातार करें। 1 महीने तक इसका सेवन करने से कब्ज, अफारा और अरुचि में आराम मिलता है।
नोट : मूली जिसके लिए फयदेमन्द हो वही इसका प्रयोग कर सकते हैं।
10. आंवला : सूखे आंवले और मेंहदी को समान मात्रा में लेकर शाम को पानी में भिगो दें। प्रात: इससे बालों को धोयें। इसका प्रयोग लगातार कई दिनों तक करने से बाल मुलायम और लंबे हो जायेंगे।
11. ककड़ी : ककड़ी में सिलिकन और सल्फर अधिक मात्रा में होता है जो बालों को बढ़ाते हैं। ककड़ी के रस से बालों को धोने से तथा ककड़ी, गाजर और पालक सबको मिलाकर रस पीने से बाल बढ़ते हैं। यदि यह सब उपलब्ध न हो तो जो भी मिले उसका रस मिलाकर पी लें। इस प्रयोग से नाखून गिरना भी बन्द हो जाता है।
12. रीठा
* कपूर कचरी 100 ग्राम, नागरमोथा 100 ग्राम, कपूर तथा रीठे के फल की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 250 ग्राम और आंवले 200 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण के 50 ग्राम चूर्ण में पानी मिलाकर लुग्दी (लेप) बनाकर बालों में लगाना चाहिए। इसके पश्चात् बालों को गरम पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अन्दर की जूं-लींकें मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं।
* रीठा, आंवला, सिकाकाई तीनों को मिलाने के बाद बाल धोने से बाल सिल्की, चमकदार, रूसी-रहित और घने हो जाते हैं।
13. गुड़हल : * गुड़हल के फूलों के रस को निकालकर सिर में डालने से बाल बढ़ते हैं।
* गुड़हल के पत्तों को पीसकर लुग्दी बना लें। इस लुग्दी को नहाने से 2 घंटे पहले बालों की जड़ों में मालिश करके लगायें। फिर नहायें और इसे साफ कर लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करते रहने से न केवल बालों को पोषण मिलेगा, बल्कि सिर में भी ठंड़क का अनुभव होगा।
* गुड़हल के पत्ते और फूलों को बराबर की मात्रा में लेकर पीसकर लेप तैयार करें। इस लेप को सोते समय बालों में लगाएं और सुबह धोयें। ऐसा कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से बाल स्वस्थ बने रहते हैं।
* गुड़हल के ताजे फूलों के रस में जैतून का तेल बराबर मिलाकर आग पर पकायें, जब जल का अंश उड़ जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें। रोजाना नहाने के बाद इसे बालों की जड़ों में मल-मलकर लगाना चाहिए। इससे बाल चमकीले होकर लंबे हो जाते हैं।
14. शांखपुष्पी : शांखपुष्पी से निर्मित तेल रोज लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
15. भांगरा :
* बालों को छोटा करके उस स्थान पर जहां पर बाल न हों भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंहे हो जाते हैं। उन्हें इस प्रयोग को अवश्य ही करना चाहिए।
* त्रिफला के चूर्ण को भांगरा के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर खरल यानी पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना बन्द जाता है तथा इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
* आंवलों का मोटा चूर्ण करके, चीनी के मिट्टी के प्याले में रखकर ऊपर से भांगरा का इतना डाले कि आंवले उसमें डूब जाएं। फिर इसे खरलकर सुखा लेते हैं। इसी प्रकार 7 भावनाएं (उबाल) देकर सुखा लेते हैं। प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन से करने से असमय ही बालों का सफेद होना बन्द जाता है। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने वाला, उम्र को बढ़ाने वाला लाभकारी योग है।
* भांगरा, त्रिफला, अनन्तमूल और आम की गुठली का मिश्रण तथा 10 ग्राम मण्डूर कल्क व आधा किलो तेल को एक लीटर पानी के साथ पकायें। जब केवल तेल शेष बचे तो इसे छानकर रख लें। इसके प्रयोग से बालों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।
16. अनन्तमूल : अनन्तमूल की जड़ का चूर्ण 2-2 ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से सिर का गंजापन दूर होता है।
17. तिल :
* तिल के पौधे की जड़ और पत्तों के काढ़े से बालों को धोने से बालों पर काला रंग आने लगता है।
* काले तिलों के तेल को शुद्ध करके बालों में लगाने से बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। प्रतिदिन सिर में तिल के तेल की मालिश करने से बाल हमेशा मुलायम, काले और घने रहते हैं।
* तिल के फूल और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर घी और शहद में पीसकर लेप बना लें। इसे सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।
* तिल के तेल की मालिश करने के एक घंटे बाद एक तौलिया गर्म पानी में डुबोकर उसे निचोड़कर सिर पर लपेट लें तथा ठण्डा होने पर दोबारा गर्म पानी में डुबोकर निचोड़कर सिर पर लपेट लें। इस प्रकार 5 मिनट लपेटे रखें। फिर ठंड़े पानी से सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की रूसी दूर हो जाती है।बालों के लिए चिकित्सा
Vindhyachal Tiwari
2. त्रिफला : त्रिफला के 2 से 6 ग्राम चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।
3. कलौंजी : 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें। इस उबले हुए पानी से बालों को धोएं। इससे बाल 1 महीने में ही काफी लंबे हो जाते हैं।
4. नीम : नीम और बेर के पत्तों को पानी के साथ पीसकर सिर पर लगा लें और इसके 2-3 घण्टों के बाद बालों को धो डालें। इससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे भी होते हैं।
5. लहसुन : लहसुन का रस निकालकर सिर में लगाने से बाल उग आते हैं।
6. सीताफल : सीताफल के बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं।
7. आम : 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाना चाहिए। इससे बाल लंबे और घुंघराले हो जाते हैं।
8. शिकाकाई : शिकाकाई और सूखे आंवले को 25-25 ग्राम लेकर थोड़ा-सा कूटकर इसके टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को 500 ग्राम पानी में रात को डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे सिर की मालिश करें। 10-20 मिनट बाद नहा लें। इस तरह शिकाकाई और आंवलों के पानी से सिर को धोकर और बालों के सूखने पर नारियल का तेल लगाने से बाल लंबे, मुलायम और चमकदार बन जाते हैं। गर्मियों में यह प्रयोग सही रहता है। इससे बाल सफेद नहीं होते अगर बाल सफेद हो भी जाते हैं तो वह काले हो जाते हैं।
9. मूली : आधी से 1 मूली रोजाना दोपहर में खाना-खाने के बाद, कालीमिर्च के साथ नमक लगाकर खाने से बालों का रंग साफ होता है और बाल लंबे भी हो जाते हैं। इसका प्रयोग 3-4 महीने तक लगातार करें। 1 महीने तक इसका सेवन करने से कब्ज, अफारा और अरुचि में आराम मिलता है।
नोट : मूली जिसके लिए फयदेमन्द हो वही इसका प्रयोग कर सकते हैं।
10. आंवला : सूखे आंवले और मेंहदी को समान मात्रा में लेकर शाम को पानी में भिगो दें। प्रात: इससे बालों को धोयें। इसका प्रयोग लगातार कई दिनों तक करने से बाल मुलायम और लंबे हो जायेंगे।
11. ककड़ी : ककड़ी में सिलिकन और सल्फर अधिक मात्रा में होता है जो बालों को बढ़ाते हैं। ककड़ी के रस से बालों को धोने से तथा ककड़ी, गाजर और पालक सबको मिलाकर रस पीने से बाल बढ़ते हैं। यदि यह सब उपलब्ध न हो तो जो भी मिले उसका रस मिलाकर पी लें। इस प्रयोग से नाखून गिरना भी बन्द हो जाता है।
12. रीठा
* कपूर कचरी 100 ग्राम, नागरमोथा 100 ग्राम, कपूर तथा रीठे के फल की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 250 ग्राम और आंवले 200 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण के 50 ग्राम चूर्ण में पानी मिलाकर लुग्दी (लेप) बनाकर बालों में लगाना चाहिए। इसके पश्चात् बालों को गरम पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अन्दर की जूं-लींकें मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं।
* रीठा, आंवला, सिकाकाई तीनों को मिलाने के बाद बाल धोने से बाल सिल्की, चमकदार, रूसी-रहित और घने हो जाते हैं।
13. गुड़हल : * गुड़हल के फूलों के रस को निकालकर सिर में डालने से बाल बढ़ते हैं।
* गुड़हल के पत्तों को पीसकर लुग्दी बना लें। इस लुग्दी को नहाने से 2 घंटे पहले बालों की जड़ों में मालिश करके लगायें। फिर नहायें और इसे साफ कर लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करते रहने से न केवल बालों को पोषण मिलेगा, बल्कि सिर में भी ठंड़क का अनुभव होगा।
* गुड़हल के पत्ते और फूलों को बराबर की मात्रा में लेकर पीसकर लेप तैयार करें। इस लेप को सोते समय बालों में लगाएं और सुबह धोयें। ऐसा कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से बाल स्वस्थ बने रहते हैं।
* गुड़हल के ताजे फूलों के रस में जैतून का तेल बराबर मिलाकर आग पर पकायें, जब जल का अंश उड़ जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें। रोजाना नहाने के बाद इसे बालों की जड़ों में मल-मलकर लगाना चाहिए। इससे बाल चमकीले होकर लंबे हो जाते हैं।
14. शांखपुष्पी : शांखपुष्पी से निर्मित तेल रोज लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
15. भांगरा :
* बालों को छोटा करके उस स्थान पर जहां पर बाल न हों भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंहे हो जाते हैं। उन्हें इस प्रयोग को अवश्य ही करना चाहिए।
* त्रिफला के चूर्ण को भांगरा के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर खरल यानी पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना बन्द जाता है तथा इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
* आंवलों का मोटा चूर्ण करके, चीनी के मिट्टी के प्याले में रखकर ऊपर से भांगरा का इतना डाले कि आंवले उसमें डूब जाएं। फिर इसे खरलकर सुखा लेते हैं। इसी प्रकार 7 भावनाएं (उबाल) देकर सुखा लेते हैं। प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन से करने से असमय ही बालों का सफेद होना बन्द जाता है। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने वाला, उम्र को बढ़ाने वाला लाभकारी योग है।
* भांगरा, त्रिफला, अनन्तमूल और आम की गुठली का मिश्रण तथा 10 ग्राम मण्डूर कल्क व आधा किलो तेल को एक लीटर पानी के साथ पकायें। जब केवल तेल शेष बचे तो इसे छानकर रख लें। इसके प्रयोग से बालों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।
16. अनन्तमूल : अनन्तमूल की जड़ का चूर्ण 2-2 ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से सिर का गंजापन दूर होता है।
17. तिल :
* तिल के पौधे की जड़ और पत्तों के काढ़े से बालों को धोने से बालों पर काला रंग आने लगता है।
* काले तिलों के तेल को शुद्ध करके बालों में लगाने से बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। प्रतिदिन सिर में तिल के तेल की मालिश करने से बाल हमेशा मुलायम, काले और घने रहते हैं।
* तिल के फूल और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर घी और शहद में पीसकर लेप बना लें। इसे सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।
* तिल के तेल की मालिश करने के एक घंटे बाद एक तौलिया गर्म पानी में डुबोकर उसे निचोड़कर सिर पर लपेट लें तथा ठण्डा होने पर दोबारा गर्म पानी में डुबोकर निचोड़कर सिर पर लपेट लें। इस प्रकार 5 मिनट लपेटे रखें। फिर ठंड़े पानी से सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की रूसी दूर हो जाती है।बालों के लिए चिकित्सा
Vindhyachal Tiwari
आजीवन स्वस्थ रहने के खास नुस्सके -----
(१)खड़े -खड़े पानी पीने से घुटनों में दर्द
की बीमारी होती है इसलिए खाना पीना बैठ कर
करना चाहिए .
(२)नक्क्सीर आने पर तुरंत नाक में
देशी घी लगाना चाहिए ,नाक से खून आना तुरंत बंद
हो जाता है
(३)बच्चों को पेशाब ना उतारे तो स्नान घर में ले
जाकर टूटी खोल दें पानी गिराने की आवाज़ सुनकर
बच्चे का पेशाब उतर जायेगा
(४)बस में उलटी आती हो तो सीट पर अखबार रखकर
बैठने से ,उलटी नहीं आती
(५)कद बढ़ाने के लिए अश्वगंधा व मिश्री बराबर
मात्र में चूरन बना कर १ चम्मच भोजन के बाद लें
(६)बाल गिरने लगें हों तो १००ग्राम नारियल तेल में
१०ग्राम देशी कपूर मिलाकर जड़ों में लगायें
(७)सर में खोरा हो ,शरीर पर
सूखी खुजली हो तो भी इसी तेल को लगाने से लाभ
मिलता है
(८)दिन में दो बार खाना ,तो दो बार शौच
भी जाना चाहिए ,क्योंकि "रुकावट" ही रोग होता है
(९)आधा सर दर्द होने पर,दर्द होने वाली साईड
की नाक में २-३ बूँद सरसों का तेल जोर से सूंघ लें
(१०)जुकाम होने पर सुहागे का फूला १ चम्मच ,गर्म
पानी में घोल कर पी लें १५ मिनट में जुकाम गायब
(११)चहरे को सुन्दर बनाने के लिए १चम्म्च दही में २
बूंद शहद मिला कर लगायें १० मिनट बाद धो लें
(१२)इसी नुसखे को पैरो की बिवाईयों में भी प्रयोग
कर सकतें हैं ,लाभ होगा
(१३)हाई बी.पी. ठीक करने के लिए १ चम्मच प्याज़
का रस में १ चम्मच शहद मिलाकर चाटें (सुगर के
रोगी भी
ले सकतें हैं)
(१४)लो बी.पी.ठीक करने के लिए ३२ दाने किसमिस के
रात को कांच के गिलास में भिगो दें सुबह १-१
दाना चबा-चबा कर खाएं (रोज़ ३२ दाने खाने हैं ३२
दिनों तक)
(१५)कब्ज़ ठीक करने के लिए अमलताश की फली (२
इंच)का काढ़ा बनाकर शाम को भोजन के बाद पियें
(१६)कमर में दर्द होने पर १०० ग्राम खसखस में १००
ग्राम मिश्री मिला कर चूर्ण बनायें,भोजन के बाद १
चम्मच गर्म दूध से लें
(१७)सर चक्कर आने पर १ चम्मच धनियाँ चूर्ण में १
चम्मच आंवला चूर्ण मिलाकर ठन्डे पानी से लें
(१८)दांतों में दर्द होने पर १ चुटकी हल्दी ,१
चुटकी काला नमक ,५ बूंद सरसों तेल मिलाकर लगायें
(१९)टौंसिल होने पर अमलताश की फली के काढ़े से
गरारे करें ,ठीक हो जायेगें
की बीमारी होती है इसलिए खाना पीना बैठ कर
करना चाहिए .
(२)नक्क्सीर आने पर तुरंत नाक में
देशी घी लगाना चाहिए ,नाक से खून आना तुरंत बंद
हो जाता है
(३)बच्चों को पेशाब ना उतारे तो स्नान घर में ले
जाकर टूटी खोल दें पानी गिराने की आवाज़ सुनकर
बच्चे का पेशाब उतर जायेगा
(४)बस में उलटी आती हो तो सीट पर अखबार रखकर
बैठने से ,उलटी नहीं आती
(५)कद बढ़ाने के लिए अश्वगंधा व मिश्री बराबर
मात्र में चूरन बना कर १ चम्मच भोजन के बाद लें
(६)बाल गिरने लगें हों तो १००ग्राम नारियल तेल में
१०ग्राम देशी कपूर मिलाकर जड़ों में लगायें
(७)सर में खोरा हो ,शरीर पर
सूखी खुजली हो तो भी इसी तेल को लगाने से लाभ
मिलता है
(८)दिन में दो बार खाना ,तो दो बार शौच
भी जाना चाहिए ,क्योंकि "रुकावट" ही रोग होता है
(९)आधा सर दर्द होने पर,दर्द होने वाली साईड
की नाक में २-३ बूँद सरसों का तेल जोर से सूंघ लें
(१०)जुकाम होने पर सुहागे का फूला १ चम्मच ,गर्म
पानी में घोल कर पी लें १५ मिनट में जुकाम गायब
(११)चहरे को सुन्दर बनाने के लिए १चम्म्च दही में २
बूंद शहद मिला कर लगायें १० मिनट बाद धो लें
(१२)इसी नुसखे को पैरो की बिवाईयों में भी प्रयोग
कर सकतें हैं ,लाभ होगा
(१३)हाई बी.पी. ठीक करने के लिए १ चम्मच प्याज़
का रस में १ चम्मच शहद मिलाकर चाटें (सुगर के
रोगी भी
ले सकतें हैं)
(१४)लो बी.पी.ठीक करने के लिए ३२ दाने किसमिस के
रात को कांच के गिलास में भिगो दें सुबह १-१
दाना चबा-चबा कर खाएं (रोज़ ३२ दाने खाने हैं ३२
दिनों तक)
(१५)कब्ज़ ठीक करने के लिए अमलताश की फली (२
इंच)का काढ़ा बनाकर शाम को भोजन के बाद पियें
(१६)कमर में दर्द होने पर १०० ग्राम खसखस में १००
ग्राम मिश्री मिला कर चूर्ण बनायें,भोजन के बाद १
चम्मच गर्म दूध से लें
(१७)सर चक्कर आने पर १ चम्मच धनियाँ चूर्ण में १
चम्मच आंवला चूर्ण मिलाकर ठन्डे पानी से लें
(१८)दांतों में दर्द होने पर १ चुटकी हल्दी ,१
चुटकी काला नमक ,५ बूंद सरसों तेल मिलाकर लगायें
(१९)टौंसिल होने पर अमलताश की फली के काढ़े से
गरारे करें ,ठीक हो जायेगें
Vindhyachal Tiwari
सोमवार, 18 अगस्त 2014
फटी एड़ियो का उपचार:
शरीर में उष्णता या खुश्की बढ़ जाने, नंगे पैर
चलने-फिरने, खून की कमी, तेज ठंड के प्रभाव से तथा धूल-मिट्टी से पैर की
एड़ियां फट जाती हैं।
यदि इनकी देखभाल न की जाए तो ये ज्यादा फट जाती हैं और इनसे खून आने लगता है, ये बहुत दर्द करती हैं। एक कहावत शायद इसलिए प्रसिद्ध है-
जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई।
घरेलू इलाज
* अमचूर का तेल 50 ग्राम, मोम 20 ग्राम, सत्यानाशी के बीजों का पावडर 10 ग्राम और शुद्ध घी 25 ग्राम। सबको मिलाकर एक जान कर लें और शीशी में भर लें। सोते समय पैरों को धोकर साफ कर लें और पोंछकर यह दवा बिवाई में भर दें और ऊपर से मोजे पहनकर सो जाएं। कुछ दिनों में बिवाई दूर हो जाएगी, तलवों की त्वचा साफ, चिकनी व साफ हो जाएगी।
* त्रिफला चूर्ण को खाने के तेल में तलकर मल्हम जैसा गाढ़ा कर लें। इसे सोते समय बिवाइयों में लगाने से थोड़े ही दिनों में बिवाइयां दूर हो जाती हैं।
चावल को पीसकर नारियल में छेद करके भर दें और छेद बन्द करके रख दें। 10-15 दिन में चावल सड़ जाएगा, तब निकालकर चावल को पीसकर बिवाइयों में रोज रात को भर दिया करें। इस प्रयोग से भी बिवाइयां ठीक हो जाती हैं।
* गुड़, गुग्गल, राल, सेंधा नमक, शहद, सरसों, मुलहटी व घी सब 10-10 ग्राम लें। घी व शहद को छोड़ सब द्रव्यों को कूटकर महीन चूर्ण कर लें, घी व शहद मिलाकर मल्हम बना लें। इस मल्हम को रोज रात को बिवाइयों पर लगाने से ये कुछ ही दिन में ठीक हो जाती हैं।
* रात को सोते समय चित्त लेट जाएं, हाथ की अंगुली लगभग डेढ़ इंच सरसों के तेल में भिगोकर नाभि में लगाकर 2-3 मिनट तक रगड़ते हुए मालिश करें और तेल को सुखा दें। जब तक तेल नाभि में जज्ब न हो जाए, रगड़ते रहें। यह प्रयोग सिर्फ एक सप्ताह करने पर बिवाइयां ठीक हो जाती हैं और एड़ियां साफ, चिकनी व मुलायम हो जाती हैं। एड़ी पर कुछ भी लगाने की जरूरत नहीं।
Vindhyachal Tiwari
यदि इनकी देखभाल न की जाए तो ये ज्यादा फट जाती हैं और इनसे खून आने लगता है, ये बहुत दर्द करती हैं। एक कहावत शायद इसलिए प्रसिद्ध है-
जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई।
घरेलू इलाज
* अमचूर का तेल 50 ग्राम, मोम 20 ग्राम, सत्यानाशी के बीजों का पावडर 10 ग्राम और शुद्ध घी 25 ग्राम। सबको मिलाकर एक जान कर लें और शीशी में भर लें। सोते समय पैरों को धोकर साफ कर लें और पोंछकर यह दवा बिवाई में भर दें और ऊपर से मोजे पहनकर सो जाएं। कुछ दिनों में बिवाई दूर हो जाएगी, तलवों की त्वचा साफ, चिकनी व साफ हो जाएगी।
* त्रिफला चूर्ण को खाने के तेल में तलकर मल्हम जैसा गाढ़ा कर लें। इसे सोते समय बिवाइयों में लगाने से थोड़े ही दिनों में बिवाइयां दूर हो जाती हैं।
चावल को पीसकर नारियल में छेद करके भर दें और छेद बन्द करके रख दें। 10-15 दिन में चावल सड़ जाएगा, तब निकालकर चावल को पीसकर बिवाइयों में रोज रात को भर दिया करें। इस प्रयोग से भी बिवाइयां ठीक हो जाती हैं।
* गुड़, गुग्गल, राल, सेंधा नमक, शहद, सरसों, मुलहटी व घी सब 10-10 ग्राम लें। घी व शहद को छोड़ सब द्रव्यों को कूटकर महीन चूर्ण कर लें, घी व शहद मिलाकर मल्हम बना लें। इस मल्हम को रोज रात को बिवाइयों पर लगाने से ये कुछ ही दिन में ठीक हो जाती हैं।
* रात को सोते समय चित्त लेट जाएं, हाथ की अंगुली लगभग डेढ़ इंच सरसों के तेल में भिगोकर नाभि में लगाकर 2-3 मिनट तक रगड़ते हुए मालिश करें और तेल को सुखा दें। जब तक तेल नाभि में जज्ब न हो जाए, रगड़ते रहें। यह प्रयोग सिर्फ एक सप्ताह करने पर बिवाइयां ठीक हो जाती हैं और एड़ियां साफ, चिकनी व मुलायम हो जाती हैं। एड़ी पर कुछ भी लगाने की जरूरत नहीं।
Vindhyachal Tiwari
रविवार, 17 अगस्त 2014
आज कौनसी सब्जी बनी है ?
तुम्हारी मनपसंद !
लौकी ???
अवश्य खाना चाहिए थोड़ी ही क्यों ना हो . ये हमारा कई बार होने वाला वार्तालाप है. लौकी काटते समय थोड़ी लौकी कच्ची ही खा ले. ये बहुत मीठी लगती है. लौकी कद्दूकस करने पर उससे निकला पानी पी जाएँ. क्योंकि इसके बहुत लाभ है ---
- लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्ध्दक, पित्त तथा कफनाशक और धातु को पुष्ट करने वाली होती है।
- हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है।
- खांसी, टीबी, सीने में जलन आदि में भी लौकी बहुत उपयोगी होती है। - हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्चात एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
- लौकी में श्रेष्ठ किस्म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है।
- लौकी श्लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्छी मात्रा में मिलती है।
- लौकी के बीज का तेल कोलेस्ट्रॉल को कम करते है तथा हृदय को शक्ति देते है। यह रक्त की नाडि़यों को भी स्वस्थ बनाते है।
- लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्ज, पीलिया, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।
- अल्सर होने पर कुछ दिन सिर्फ लौकी खाने से यह ठीक हो जाता है.
- लौकी के रस को सीसम के तेल के साथ मिलाकर तलवों पर हल्की मालिश सुखपूर्वक नींद लाती है।
-लौकी का रस मिर्गी और अन्य तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में भी फायदेमंद है।
-अगर आप एसिडीटी,पेट क़ी बीमारियों एवं अल्सर से हों परेशान, तो न घबराएं बस लौकी का रस है इसका समाधान।
- केवल पर्याप्त मात्रा में लौकी क़ी सब्जी का सेवन पुराने से पुराने कब्ज को भी दूर कर देता है।
- लौकी मस्तिष्क की गर्मी को दूर करती है।लौकी का रायता दस्तों में लाभप्रद है।
- यकृत की बीमारी और पीलिया के लिये लौकी लाभकारी है।
- लौकी के पत्तों को पीसकर लेप करने से कुछ ही दिनों में बवासीर नष्ट हो जाते हैं।
- लौकी के छिलके से चेहरा साफ करने से चेहरे की गंदगी दूर होती है। त्वचा के रोम छिद्र खुल जाते हैं। चेहरे पर मुंहासे हों तो, इन मुहांसों पर लौकी और नींबू के रस का मिश्रण लगाएं। इससे आपको जरूर लाभ मिलेगा।
-गर्मियों में लौकी को पीसकर पैर के तलवों पर मलें इससे पैरों की जलन शांत होती है।
- लौकी के बीजों को पीसकर होठों पर लगाने से जीभ और होठों के छाले ठीक हो जाते हैं।
- दमा या अस्थमा के लिए ताजी लौकी पर गीला आटा लेप लें, फिर उसे साफ कपडे़ में लपेटकर, भूभल (गर्म राख या रेत) में दबायें। आधे घंटे बाद कपड़ा और आटा उतारकर उस भुरते का रस निकालकर सेवन करें। लगभग 40 दिनों में इस रोग से छुटकारा मिल जाएगा।
- बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लौकी पीसकर लेप करें और इसका रस निकालकर पिलाएं। इससे बिच्छू का जहर उतर जाता है।
- कच्चे लौकी को काटकर उसकी लुगदी बनाकर घुटनों पर रखकर कपड़े से बांध लेना चाहिए। इससे घुटने का दर्द दूर हो जायेगा।
- सिर्फ एक सावधानी बरते की लौकी कडवी होने पर उसका उपयोग ना करें .
लौकी ???
अवश्य खाना चाहिए थोड़ी ही क्यों ना हो . ये हमारा कई बार होने वाला वार्तालाप है. लौकी काटते समय थोड़ी लौकी कच्ची ही खा ले. ये बहुत मीठी लगती है. लौकी कद्दूकस करने पर उससे निकला पानी पी जाएँ. क्योंकि इसके बहुत लाभ है ---
- लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्ध्दक, पित्त तथा कफनाशक और धातु को पुष्ट करने वाली होती है।
- हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है।
- खांसी, टीबी, सीने में जलन आदि में भी लौकी बहुत उपयोगी होती है। - हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्चात एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
- लौकी में श्रेष्ठ किस्म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है।
- लौकी श्लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्छी मात्रा में मिलती है।
- लौकी के बीज का तेल कोलेस्ट्रॉल को कम करते है तथा हृदय को शक्ति देते है। यह रक्त की नाडि़यों को भी स्वस्थ बनाते है।
- लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्ज, पीलिया, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।
- अल्सर होने पर कुछ दिन सिर्फ लौकी खाने से यह ठीक हो जाता है.
- लौकी के रस को सीसम के तेल के साथ मिलाकर तलवों पर हल्की मालिश सुखपूर्वक नींद लाती है।
-लौकी का रस मिर्गी और अन्य तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में भी फायदेमंद है।
-अगर आप एसिडीटी,पेट क़ी बीमारियों एवं अल्सर से हों परेशान, तो न घबराएं बस लौकी का रस है इसका समाधान।
- केवल पर्याप्त मात्रा में लौकी क़ी सब्जी का सेवन पुराने से पुराने कब्ज को भी दूर कर देता है।
- लौकी मस्तिष्क की गर्मी को दूर करती है।लौकी का रायता दस्तों में लाभप्रद है।
- यकृत की बीमारी और पीलिया के लिये लौकी लाभकारी है।
- लौकी के पत्तों को पीसकर लेप करने से कुछ ही दिनों में बवासीर नष्ट हो जाते हैं।
- लौकी के छिलके से चेहरा साफ करने से चेहरे की गंदगी दूर होती है। त्वचा के रोम छिद्र खुल जाते हैं। चेहरे पर मुंहासे हों तो, इन मुहांसों पर लौकी और नींबू के रस का मिश्रण लगाएं। इससे आपको जरूर लाभ मिलेगा।
-गर्मियों में लौकी को पीसकर पैर के तलवों पर मलें इससे पैरों की जलन शांत होती है।
- लौकी के बीजों को पीसकर होठों पर लगाने से जीभ और होठों के छाले ठीक हो जाते हैं।
- दमा या अस्थमा के लिए ताजी लौकी पर गीला आटा लेप लें, फिर उसे साफ कपडे़ में लपेटकर, भूभल (गर्म राख या रेत) में दबायें। आधे घंटे बाद कपड़ा और आटा उतारकर उस भुरते का रस निकालकर सेवन करें। लगभग 40 दिनों में इस रोग से छुटकारा मिल जाएगा।
- बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लौकी पीसकर लेप करें और इसका रस निकालकर पिलाएं। इससे बिच्छू का जहर उतर जाता है।
- कच्चे लौकी को काटकर उसकी लुगदी बनाकर घुटनों पर रखकर कपड़े से बांध लेना चाहिए। इससे घुटने का दर्द दूर हो जायेगा।
- सिर्फ एक सावधानी बरते की लौकी कडवी होने पर उसका उपयोग ना करें .
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Your Arrival From _/\_
SASKVNS
ज़िंदगी को कीजिए
'रीसेट' – Press the Reset Button On Your Life
ज़िंदगी हमें हर समय किसी-न-किसी मोड़ पर उलझाती रहती है.
हम अपने तयशुदा रास्ते से भटक जाते हैं और मंजिल आँखों से ओझल हो जाती है. ऐसे में
मैं हमेशा से यही ख्वाहिश करता आया हूँ कि काश मेरे पास ज़िंदगी को नए सिरे से
शुरू करने के लिए कोई रीसेट बटन होता जैसा मोबाइल या कम्प्युटर में होता हैहमारे पास बीते समय में लौटने के लिए कोई टाइम मशीन नहीं है लेकिन कुछ तो ऐसा है जिससे हम अपने जीवन को रीसेट या रीबूट कर सकते हैं एक ही मशीन सभी रोगो के तत्व का पता लगता है और उसे आप के आँख के सामने ही निकल देता है
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डिटॉक्सीफिकेशन
शरीर को सेहतमंद रखने के लिए डाइट कंट्रोल, पर्याप्त पानी, आराम और ताजा हवा आवश्यक है। इसमें फिजिकल, मानसिक और इमोशनल फैक्टर काम करते हैं। इसके लिए जरूरी है डिटॉक्सीफिकेशन। यह आपके शरीर के लिए बसंत के मौसम में घर की सफाई जैसा ही है। यानी शरीर को चुस्त-दुरूस्त और तरो-ताजा रखने की प्रक्रिया है। जब आप मानसिक तनाव और शरीर के विकारों से मुक्त हो जाते हैं, तो शरीर में ऊर्जा का संचार हो जाता है।
अनहेल्दी डाइट, कब्ज, तनाव, दूषित पानी पीने, वातावरण में मौजूद दूषित तत्व श्वास के साथ शरीर में पहुंचने और चाय, कॉफी या अल्कोहल का अधिक सेवन करने से शरीर में विषाक्त तत्वों का स्तर बढ़ने लगता है। ऐसे में शरीर का डिटॉक्सीफिकेशन यानी विष दूर करना बहुत जरूरी होता है। रक्त शुद्धिकरण : शरीर में विषाक्त तत्वों का स्तर बढ़ने से शारीरिक-तंत्र गड़बड़ाने लगता है। ऐसी स्थिति में डिटॉक्सीफिकेशन रक्त के शुद्धिकरण और अंदरूनी अंगों की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से जारी रखने के डिटॉक्सीफिकेशन के फायदे
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- बेहतर तंत्रिका तंत्र
- पाचन तंत्र में सुधार
- शारीरिक ऊर्जा में बढ़ोतरी
- मेटाबॉलिज्म के फंक्शन में सुधार