मंगलवार, 29 जुलाई 2014
सोमवार, 28 जुलाई 2014
एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्दति
शरीर के विभिन्न हिस्सों खासकर हथेलियों और पैरों के तलवों
के महत्वपूरण बिन्दुओं पर दबाव डालकर विभिन्न रोगों का इलाज करने की विधि
को एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्दति कहा जाता है | चिकित्सा शास्त्र की इस
पद्दति का मानना है कि शरीर में हजारों नसों ,रक्त धमनियों ,मांसपेसियों
,स्नायू और हड्डियों के साथ कई अन्य चीजे मिलकर इस शरीर रूपी मशीन को चलाते
है | अत : किसी बिंदु पर दबाव डालने से उससे सम्बंधित जुड़ा भाग प्रभावित
होता है इस पद्दति के लगातार अध्ययनों के बाद मानव शरीर के दो हजार ऐसे
बिंदु पहचाने गए है जिन्हें एक्यू पॉइंट कहा जाता है जिस एक्यू पॉइंट पर
दबाव डालने से उसमे दर्द हो उसे बार बार दबाने से उस जगह से सम्बंधित
बीमारी ठीक हो जाती है | इस पद्दति में हथेलियों ,पैरों के तलवों
,अँगुलियों और कभी कभी कोहनी अथवा घुटनों पर हल्के और मध्यम दबाव डालकर
शरीर में स्थित उन उर्जा केन्द्रों को फिर से सक्रीय किया जाता है जो किसी
कारण अवरुद्ध हो गई हों |
बिना दवा के इलाज करने वाली यह पद्दति सरल ,हानिरहित, खर्च रहित व अत्यंत प्रभावशाली व उपयोगी है जिसे कोई भी थोड़ी सी जानकारी हासिल कर कभी भी कहीं भी कर सकता है | बस शरीर से सम्बंधित अंगों के बिंदु केन्द्रों की हमें जानकारी होनी चाहिए | निचे दिए दो चित्रों में आप शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों से सम्बंधित बिन्दुओं (एक्यू पॉइंट ) के बारे जान सकते है | चित्र को बड़ी साइज में देखने के लिए चित्र पर क्लिक करें |
इस पद्धति का विकास चीन में होने के कारण इसे चीनी पद्धति के रूप में जाना जाता है। लेकिन इसकी उत्पत्ति को लेकर काफी विवाद भी हैं। एक ओर जहां चीन का इतिहास यह बताता है कि यह पद्धति 2000 वर्ष पहले चीन में विकसित होकर सारी दुनिया के सामने आई। वहीं, भारतीय मतों के अनुसार आयुर्वेद में 3000 ई.पू. ही एक्यूप्रेशर में वर्णित मर्मस्थलों का जिक्र किया जा चुका है। वर्तमान में भारत और चीन के साथ ही हांगकांग, अमरीका आदि देशों में भी कई रोगों के उपचार में एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति काम में लाई जाती है।
बिना दवा के इलाज करने वाली यह पद्दति सरल ,हानिरहित, खर्च रहित व अत्यंत प्रभावशाली व उपयोगी है जिसे कोई भी थोड़ी सी जानकारी हासिल कर कभी भी कहीं भी कर सकता है | बस शरीर से सम्बंधित अंगों के बिंदु केन्द्रों की हमें जानकारी होनी चाहिए | निचे दिए दो चित्रों में आप शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों से सम्बंधित बिन्दुओं (एक्यू पॉइंट ) के बारे जान सकते है | चित्र को बड़ी साइज में देखने के लिए चित्र पर क्लिक करें |
इस पद्धति का विकास चीन में होने के कारण इसे चीनी पद्धति के रूप में जाना जाता है। लेकिन इसकी उत्पत्ति को लेकर काफी विवाद भी हैं। एक ओर जहां चीन का इतिहास यह बताता है कि यह पद्धति 2000 वर्ष पहले चीन में विकसित होकर सारी दुनिया के सामने आई। वहीं, भारतीय मतों के अनुसार आयुर्वेद में 3000 ई.पू. ही एक्यूप्रेशर में वर्णित मर्मस्थलों का जिक्र किया जा चुका है। वर्तमान में भारत और चीन के साथ ही हांगकांग, अमरीका आदि देशों में भी कई रोगों के उपचार में एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति काम में लाई जाती है।
बुधवार, 23 जुलाई 2014
एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का परिचय
एक्यूप्रेशर यह विभिन्न रोगों के इलाज का सबसे प्राचीन और सरल चीनी प्रणाली है मुख्य रूप से की वजह से (नकारात्मक) यिन और यांग के शरीर में (सकारात्मक) बलों असंतुलन के कारण होता ह उपचार एसीयू अंक के माध्यम से जो यिन यांग बलों संतुलित कर रहे हैं पर उंगली दबाव लागू करने के द्वारा किया जाता है. एक्यूप्रेशर एक प्राचीन स्वयं स्वास्थ्य तकनीक है कि व्यापक रूप से हजारों साल के लिए उन्मुख भर में इस्तेमाल किया है और जो दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया है पिछले कई वर्षों के लिए दुनिया है एक्यूप्रेशर की जड़ आत्मा में है 'मनुष्य की आत्मा स्वर्ग से संपन्न है शारीरिक ऊर्जा पृथ्वी से संपन्न है
मतलब जिससे आदमी बनाया है जिससे बीमारी का मतलब होता है जिससे आदमी का मतलब है ठीक है मतलब है जिससे बीमारी पैदा होती है शरीर पलटा केंद्रों सभी सिद्धांत और उपचार के आधार हैं पांच तत्व लकड़ी अग्नि पृथ्वी धातु, पानी प्रकृति के सभी घटनाएं घेरना यह एक प्रतीक है कि खुद को लागू होता है आदमी को समान रूप से ह
वहाँ 7200 में एक पैर तंत्रिका अंत कर रहे ह शायद इस तथ्य बताते हैं इसलिए हम इतना बेहतर है जब हमारे पैर व्यवहार कर रहे हैं लग रहा ह पैर में तंत्रिका अंत स्पाइनल कॉर्ड और मस्तिष्क शरीर के सभी क्षेत्रों के साथ है और इसलिए साथ व्यापक interconnectionsहै निश्चित रूप से चरणों में तनाव जारी है और स्वास्थ्य को बढ़ाने के अवसर का एक सोने की खान हैं हर कोई है जो करने के लिए शरीर की सजगता संवेदनशीलता को समझना चाहता है सीखना चाहिए
इस प्रशिक्षण के साथ एक व्यक्ति को आसानी से आगे बढ़ने कर सकते हैं और पलटा काम के अन्य रूपों के लिए सीख लो संवेदनशीलता की प्रणाली सुरक्षित है, और बहुत सारे मामलों में जहां अन्य चिकित्सा करने के लिए परिणाम लाने में नाकाम रहे हैं में कारगर है इस कोर्स करने से आप एक स्वस्थ जीवन के लिए अपनी खोज में वृद्धि होगी हम इस प्राचीन विज्ञान और कला का रहस्य दूर स्पष्ट और आसान शब्दों में अपने मूल सिद्धांत है और अभ्यास समझा जाएगा
एक्यूप्रेशर प्रकृति के स्वास्थ्य हमारे शरीर में निर्मित विज्ञान है एक्यूप्रेशर चिकित्सा में आप कुछ हथेलियों और तलवों पर स्थित बिंदुओं पर दबाव लागू है अंक पर दिया दबाव के लिए बीमारी को रोकने के लिए अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के शरीर के सभी अंगों को उत्तेजित करता है इस थेरेपी भी हमें सक्षम बनाता है पता लगाने के लिए और स्थायी रूप से रोग का इलाज
एक्यूप्रेशर
एक ऐसा प्राकृतिक तरीका जिसके द्वारा सभी तरह की बीमारियों का इलाज बिना
दवाई के होता हैं आगे आपको एक्यूप्रेशर की विशेषताऐ बताएगे
रविवार, 20 जुलाई 2014
Acupressure (Reflexology) Charts Collection
Brainwave Chart
Acupressure Points
Acupressure is an ancient art of healing that originated from Asia some 5,000 years ago. It uses the same principles as Acupuncture, but minus the needles. Ancient therapies were primary based on preventative health care. Acupressure is a way of self-treatment or Do-It-Yourself (DIY) therapy. Acupressure Fitness (AcuFit) Mats have transformed the art of Acupressure therapy from being a therapist given massage to a DIY at your own convenience.
This page shows how Acupressure utilizes Acupressure Points on the body, and what points correspond to what organs/diseases. We focus on the Acupressure points on the foot because Acufit Foot Mats leverage the acupressure points (also known as acupoints, trigger points, reflecting zones, reflexology points, pressure points) on the foot. It also guides you through how Acupressure is a great way to Relieve Tension and Live Stress Free.
Acupressure Points
Acupressure is based on the principles that all organs of the body are connected to certain points on the hands and feet. Most Acupressure institutes teach how to apply the right amount of pressure on specific points on the hands and feet. It is believed that applying pressure on these points for a certain amount of time helps stimulate the energy flow to different parts of the body. Acupressure stems from times when medicine was mostly preventative. Acupressure has a close cousin, Acupuncture, that originates from the same basic principles but uses needles instead of fingers and thumb to apply pressure. Acufit Foot Mats have brought Acupressure to the next level by providing a mat that you can step on to apply pressure on the acupressure points on your feet. Since the foot is not flat, the Acupressure Fitness (AcuFit) Foot Mats have a pyramid in the center to ensure the right amount of pressure in the middle of the foot.Acupressure as a way of Relieve Tension and Live Stress Free
Acupressure is believed to be a great way to relive stress, tension and anxiety. In today’s fast paced life, stress and tension can really take a toll on your body. Acupressure can help overcome stress and anxiety by using certain acupressure points on the wrist and the foot. Rather than having to remember and master these points, Acufit Foot Mats will put the right amount of pressure throughout your feet as you move your legs up and down on the mat (in a walking motion). There are UPS and DOWNS in everyone’s life. We want you to LIVE STRESS FREE!
Below you will find commonly used acupressure points located on the legs and feet. Acupressure points on the legs and feet are used for a very wide range of conditions including digestive problems, stress and anxiety, insomnia, hot flashes, headaches, PMS, and more.
Hand Acupressure Points
Foot Acupressure Points
Hand Acupressure Points
Hand Pressure points
Sujok Acupressure Points
Foot Acupressure Points (below)
Rainbow Coded Hand Reflexology Chart (above)
Acupressure Foot Image
Back and Neck Pain Acupressure Points
Hand Acupressure Points
12 Ways to Stay Healthy
Health Banner
By : kanti pal
मंगलवार, 15 जुलाई 2014
एक्यूप्रेशर चिकित्सा में बरतें ये सावधानियां
एक्यूप्रेशर चिकित्सा में बरतें ये सावधानियां इस पद्धति में
इलाज से पहले यह जान ले कि रोग किस अंग से संबंधित है। उसका प्रतिबिंब
केंद्र जानने के बाद उपचार करें। प्रतिबिंब केंद्रों के परीक्षण से किस अंग
में विकार है पता चल जाता है। यदि किसी केंद्र पर प्रेशर देने से रोगी को
बहुत दर्द हो तो समझो, उस केंद्र से संबंधित अंग में कोई विकार है। प्रेशर
देने का ढंग सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। हाथ के अंगूठे हाथ की तीसरी अंगुली,
एक अंगुली पर दूसरी अंगुली रखकर हाथ की मध्य की तीन अंगुलियों के कार्य तथा
हथेली के साथ कर सकते है। अंगूठा या अंगुली बिल्कुल सीधी खड़ी करके प्रेशर
नहीं देना चाहिये। प्रेशर देने के लिये अंगूठा या अंगुली एक ही स्थान पर
टिका कर घड़ी की सुई की तरह गोल बाईं से दाईं तरफ दिया जाये। इससे शीघ्र लाभ
मिलता है। तरल पदार्थ या पाउडर लगा कर भी प्रेशर दे सकते हैं। यदि हाथों
या पैरों की चमड़ी सख्त हो तो उपकरणों से भी प्रेशर दे सकते हैं। लकडी, रबड़
या प्लास्टिक की धारी वाले रोलर से पैरों में स्थित अनेक
प्रतिबिंब केंद्रों पर दबाव दिया जा सकता है। अंगूठा या अंगुली बिल्कुल सीधी खड़ी करके प्रेशर नहीं देना चाहिये। प्रेशर देने के लिये अंगूठा या अंगुली एक ही स्थान पर टिका कर घड़ी की सुई की तरह गोल बाईं से दाईं तरफ दिया जाये इससे शीघ्र लाभ मिलता है। तरल पदार्थ या पाउडर लगा कर भी प्रेशर दे सकते हैं। यदि हाथों या पैरों की चमड़ी सख्त हो तो उपकरणों से भी प्रेशर दे सकते हैं। लकडी, रबड़ या प्लास्टिक की धारी वाले रोलर से पैरों में स्थित अनेक प्रतिबिंब केंद्रों पर दबाव दिया जा सकता है। घुटनों तथा टखनों के साथ वाला उंगलियों के नीचे वाला तथा हाथों-पैरों का ऊपरी भाग दूसरे भागों से कुछ अधिक नरम होता है। इन भागों पर दबाव कम तथा धीरे-धीरे देना चाहिये। प्रेशर देने की अवधि रोग के अनुसार हर चिकित्सक का विचार भिन्न-भिन्न है। कोई 2 से 5 मिनट तक तथा कोई कुछ सैंकेंड तक ही प्रेशर देने का सुझाव देते हैं। चिरकालिक रोगों में पहले सप्ताह प्रतिदिन, उस के बाद सप्ताह में दो या तीन बार प्रेशर देना चाहिये। कुछ रोगांे जैसे गठिया, घुटनों के दर्द में आलू के गर्म पानी या अमर बेल को पानी में गर्म करके सेक करने से बहुत आराम मिलता है और लगातार करने से दर्द भी ठीक हो जाता है। इससे सूजन भी नहीं रहती। प्रेशर देने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी है। हाथों के नाखून बढ़े हुये न हो। शरीर में लचक तथा ढीलापन लाने के लिये प्रेशर देने से पहले थोड़ी देर के लिये गहरे और लंबे सांस लेने चाहिये। शरीर पर थोड़ा तरल पदार्थ या पाउडर लगाना चाहिये। इससे गहरा प्रेशर दिया जा सकता है। रोग निवारण के लिए रोगी को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये। कुछ ऐसे रोग भी हैं जैसे रीढ की हड्डी, साइटिका वात, नाड़ी का दर्द, जिनमें डाॅक्टर कुछ दिन आराम करने के लिये कहते हैं। ऐसे रोगों के लिये आराम जरूरी है। स्वस्थ व्यक्तियों को भी हाथों तथा पैरों में सारे प्रतिबिंब पर प्रेशर देना चाहये इससे स्वास्थ्य को वर्षों तक कायम रखा जा सकता है। चिरकालिक रोगों के लिये एक्यूप्रेशर के अतिरिक्त प्रतिदिन त्रिधातु पेय लेने से भी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ आवलें का पेय भी ले सकते हैं। दोनों में कोई एक पेय लेना ही लाभकारी है।
प्रतिबिंब केंद्रों पर दबाव दिया जा सकता है। अंगूठा या अंगुली बिल्कुल सीधी खड़ी करके प्रेशर नहीं देना चाहिये। प्रेशर देने के लिये अंगूठा या अंगुली एक ही स्थान पर टिका कर घड़ी की सुई की तरह गोल बाईं से दाईं तरफ दिया जाये इससे शीघ्र लाभ मिलता है। तरल पदार्थ या पाउडर लगा कर भी प्रेशर दे सकते हैं। यदि हाथों या पैरों की चमड़ी सख्त हो तो उपकरणों से भी प्रेशर दे सकते हैं। लकडी, रबड़ या प्लास्टिक की धारी वाले रोलर से पैरों में स्थित अनेक प्रतिबिंब केंद्रों पर दबाव दिया जा सकता है। घुटनों तथा टखनों के साथ वाला उंगलियों के नीचे वाला तथा हाथों-पैरों का ऊपरी भाग दूसरे भागों से कुछ अधिक नरम होता है। इन भागों पर दबाव कम तथा धीरे-धीरे देना चाहिये। प्रेशर देने की अवधि रोग के अनुसार हर चिकित्सक का विचार भिन्न-भिन्न है। कोई 2 से 5 मिनट तक तथा कोई कुछ सैंकेंड तक ही प्रेशर देने का सुझाव देते हैं। चिरकालिक रोगों में पहले सप्ताह प्रतिदिन, उस के बाद सप्ताह में दो या तीन बार प्रेशर देना चाहिये। कुछ रोगांे जैसे गठिया, घुटनों के दर्द में आलू के गर्म पानी या अमर बेल को पानी में गर्म करके सेक करने से बहुत आराम मिलता है और लगातार करने से दर्द भी ठीक हो जाता है। इससे सूजन भी नहीं रहती। प्रेशर देने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी है। हाथों के नाखून बढ़े हुये न हो। शरीर में लचक तथा ढीलापन लाने के लिये प्रेशर देने से पहले थोड़ी देर के लिये गहरे और लंबे सांस लेने चाहिये। शरीर पर थोड़ा तरल पदार्थ या पाउडर लगाना चाहिये। इससे गहरा प्रेशर दिया जा सकता है। रोग निवारण के लिए रोगी को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये। कुछ ऐसे रोग भी हैं जैसे रीढ की हड्डी, साइटिका वात, नाड़ी का दर्द, जिनमें डाॅक्टर कुछ दिन आराम करने के लिये कहते हैं। ऐसे रोगों के लिये आराम जरूरी है। स्वस्थ व्यक्तियों को भी हाथों तथा पैरों में सारे प्रतिबिंब पर प्रेशर देना चाहये इससे स्वास्थ्य को वर्षों तक कायम रखा जा सकता है। चिरकालिक रोगों के लिये एक्यूप्रेशर के अतिरिक्त प्रतिदिन त्रिधातु पेय लेने से भी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ आवलें का पेय भी ले सकते हैं। दोनों में कोई एक पेय लेना ही लाभकारी है।
सोमवार, 16 जून 2014
राजीव दीक्षित के व्याख्यान
Rajiv Dixit was an Indian social activist. He started social movements, in order to spread awareness on topics of Indian national interest through the Swadeshi
movement,[citation needed] Azadi Bachao Andolan, and various other works. He served as the National Secretary of Bharat Swabhiman Andolan. He was a strong believer in and campaigner for the use only of Indian-origin products. He had also worked for spreading awareness about Indian history and issues in the Indian economic policies
Early life
Rajiv Dixit was born in Nah village of Aligarh district, Uttar Pradesh. He was educated up to class XII in village schooling system.[dubious – discuss] He had an MTech Degree and had worked as scientist for a brief period.
Death
He died on 30 November 2010 while in Bhilai, Chhattisgarh,[14] on the way to deliver a lecture as a part of his Bharat Swabhiman Yatra.In 2012, Ramdev claimed that there were unfounded moves to accuse him of being in a conspiracy to cause Dixit's death, which he said had been due to cardiac arrest.
राजीव भाई के व्याख्यान
1. Swadeshi Chikitsa - RAJIV DIXITमंगलवार, 29 अप्रैल 2014
Acupunture
It is surmised that this method of treatment must have taken roots,when efforts were made to modify the system of acupunture by discarding the use of needles.Acupressure means that the treatment is done by putting pressure on various points in the body,and the disease got rid off.the westen countries have given it another name.They called it REFLEXOLOGY.It is now accepted that many imbalances of the body,blood vesels and arteries as also obstacles in the flow of blood can be cured by this system.It is a new system that has widened the horizons of the medical world and plced a painless and easy way of curing diseases in the hands of the medical fraternity
The American doctor.William Fritgerald,who restored this system of treatment to its rightful place in the world of medicine,has written in one of his article,"The human body is a very complicated machine.It has many sensitive parts.
Brain,digestivesystem,eyes,ears,nose,tongue,skin,heart,lungs,kidneys,arteries and veins,blood vessels are separate parts,but they wark in such harmonious manner that it evokes nothing but admiration.It is really a miracle how they work in conjunction with each other,Like all other man made machines,nature has also made human beings in such a manner that if some part of this machine develops some defect it can be set right by pressing the invisible button that controls it."
In Ramayana we find the story of aduel between Bali and Sugriva.Sugrive is thoroughly beaten by his brother Bali and rushes to Lord Ram.Ram is able to alleviate his pain by touching his body.According to accupressre experts this method of treatment was developed in ancient India and was widely used.
During the Maurya period, this technique was adopted by Buddhist priests who made many changes in his technique and introduced new innoviations.In the fag end of nineteenthcentury Dr. Fritzgerald revived it
गुरुवार, 24 अप्रैल 2014
Auricular Therapy
Auricular Therapy acyually means acupuncture of the ear.It was discovered that the ear has some 200 acupunture points and treatment for certain diseases can
be done by inserting needles at those points.
It was Dr. Paul Nogier of France, who came to the conclusion that there are some acupunture points in the ear after making an extensive study of this system of treatment.He found the certain diseases were amenable to treatment if the needles are inserted at these points in the ear.This method came to be known as Auricular Therapy.Some call it'acupunture of the ear'.
In this system of auricular therapy it is accepted that all the blood vessels and viens go towards the ear.The ear is supposed to be an important part of the body-system as it is placed just under the brain.It may be interesting to note that the position of a child in the womb is very similar to the shape of outer ear.
For diagnosis of the disease in this method,various points in the ear are pressed to find out where it pains. Once this is decided and finalsed,the treatment is done by acupunture.
be done by inserting needles at those points.
It was Dr. Paul Nogier of France, who came to the conclusion that there are some acupunture points in the ear after making an extensive study of this system of treatment.He found the certain diseases were amenable to treatment if the needles are inserted at these points in the ear.This method came to be known as Auricular Therapy.Some call it'acupunture of the ear'.
In this system of auricular therapy it is accepted that all the blood vessels and viens go towards the ear.The ear is supposed to be an important part of the body-system as it is placed just under the brain.It may be interesting to note that the position of a child in the womb is very similar to the shape of outer ear.
For diagnosis of the disease in this method,various points in the ear are pressed to find out where it pains. Once this is decided and finalsed,the treatment is done by acupunture.
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हम इससे पहले आयुर्वेदिक दवाओं में गोलियों, वटियों भस्म व पिष्टी की जानकारी आपको दे चुके हैं। आयुर्वेद के कुछ चूर्ण, जो दैनिक जीवन में बहुत...
Your Arrival From _/\_
SASKVNS
ज़िंदगी को कीजिए
'रीसेट' – Press the Reset Button On Your Life
ज़िंदगी हमें हर समय किसी-न-किसी मोड़ पर उलझाती रहती है.
हम अपने तयशुदा रास्ते से भटक जाते हैं और मंजिल आँखों से ओझल हो जाती है. ऐसे में
मैं हमेशा से यही ख्वाहिश करता आया हूँ कि काश मेरे पास ज़िंदगी को नए सिरे से
शुरू करने के लिए कोई रीसेट बटन होता जैसा मोबाइल या कम्प्युटर में होता हैहमारे पास बीते समय में लौटने के लिए कोई टाइम मशीन नहीं है लेकिन कुछ तो ऐसा है जिससे हम अपने जीवन को रीसेट या रीबूट कर सकते हैं एक ही मशीन सभी रोगो के तत्व का पता लगता है और उसे आप के आँख के सामने ही निकल देता है
कोई एलोपैथिक होमियोपैथिक आयुर्वेदिक दवा नहीं
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डिटॉक्सीफिकेशन
शरीर को सेहतमंद रखने के लिए डाइट कंट्रोल, पर्याप्त पानी, आराम और ताजा हवा आवश्यक है। इसमें फिजिकल, मानसिक और इमोशनल फैक्टर काम करते हैं। इसके लिए जरूरी है डिटॉक्सीफिकेशन। यह आपके शरीर के लिए बसंत के मौसम में घर की सफाई जैसा ही है। यानी शरीर को चुस्त-दुरूस्त और तरो-ताजा रखने की प्रक्रिया है। जब आप मानसिक तनाव और शरीर के विकारों से मुक्त हो जाते हैं, तो शरीर में ऊर्जा का संचार हो जाता है।
अनहेल्दी डाइट, कब्ज, तनाव, दूषित पानी पीने, वातावरण में मौजूद दूषित तत्व श्वास के साथ शरीर में पहुंचने और चाय, कॉफी या अल्कोहल का अधिक सेवन करने से शरीर में विषाक्त तत्वों का स्तर बढ़ने लगता है। ऐसे में शरीर का डिटॉक्सीफिकेशन यानी विष दूर करना बहुत जरूरी होता है। रक्त शुद्धिकरण : शरीर में विषाक्त तत्वों का स्तर बढ़ने से शारीरिक-तंत्र गड़बड़ाने लगता है। ऐसी स्थिति में डिटॉक्सीफिकेशन रक्त के शुद्धिकरण और अंदरूनी अंगों की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से जारी रखने के डिटॉक्सीफिकेशन के फायदे
-:
- बेहतर तंत्रिका तंत्र
- पाचन तंत्र में सुधार
- शारीरिक ऊर्जा में बढ़ोतरी
- मेटाबॉलिज्म के फंक्शन में सुधार